मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्षेत्र गोरखपुर की बदहाल व्यवस्था को दर्शाने वाली घटना के सामने आने से हड़कंप मच गया है। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 48 घंटे के दौरान 33 और पिछले छह दिनों में 64 मासूमों की मौत ने सबको झकझोर दिया है। लेकिन सरकार और प्रशासन अपनी किसी भी कमी और लापरवाही की बात से पल्ला झाड़ लिया है। हालांकि, मेडिकल कालेज के प्राचार्य को निलंबित कर अपनी जवाबदेही को दिखाया है।इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंच गए हैं। सीएम योगी के साथ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी अस्पताल पहुंचे हैं। हालांकि, सीएम योगी के अस्पताल पहुंचने से पहले अस्पताल प्रशासन पर आरोप है कि उन्होंने मासूमों के परिजनों को जबरन अस्पताल से निकाल दिया। डॉक्टरों ने कहा कि अपने बच्चों को यहां से जल्दी हटाओं, योगी जी का दौरा है।
दरअसल, समाचार चैनल न्यूज नेशन के रिपोर्टर ने अस्पताल के बाहर 9 महीने के अपने बच्चे को लेकर खड़ा एक पिता से पूछा कि आपके बच्चे के शव को लेकर जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिला, आप ऐसे(कंधे पर) क्यों लेकर जा रहे हैं? इस सवाल के जवाब में पिता ने बताया कि डॉक्टरों ने उनसे कहा कि जल्द से जल्द अपने बच्चों को यहां से हटाओं, योगी जी का दौरा है।
मासूम के पिता ने चैनल से कहा कि हमसे यह नहीं पूछा कि अपने बच्चे के शव को कैसे लेकर जाएंगे। पिता ने कहा मजबूरी में ऑटो से लेकर मासूम के शव को लेकर जाना पड़ेगा। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को आक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की खबरों से इंकार करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने आक्सीजन आपूर्तकिर्ता को भुगतान में विलंब के लिए कालेज के प्रिसिंपल को दोषी ठहराते हुए कहा कि नौ अगस्त को गोरखपुर प्रवास के दौरान उन्होंने इन्सेफेलाइटिस, डेंगू, चिकुनगुनिया, स्वाइन फ्लू और कालाजार जैसे मुददों पर अधिकारियों से बातचीत की थी और उनसे पूछा था कि उनकी आवश्यकता क्या है और क्या उन्हें किसी तरह की कोई समस्या है, लेकिन आक्सीजन आपूर्त से जुड़ा मुद्दा उनके संज्ञान में नहीं लाया गया।