मुंबई हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य भर में आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों की कुपोषण से संबंधित मौतों की बढ़ती हुई संख्या को रोकने में विफल रहने पर महाराष्ट्र सरकार को जमकर फटकार लगाई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायाधीश एनएम जामदर ने सरकार से कहा कि उनके कल्याण के लिए राज्य में अनेक योजनाएं हैं लेकिन सरकार ने उनमें से किसी का भी सही तरह के क्रियान्वयन नहीं किया है।
ख़बरों के मुताबिक, हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब उसे बताया गया कि पिछले दो महीनों में आदिवासी क्षेत्र में कुपोषण और बीमारियों की वजह से 180 बच्चों की मौत हो चुकी है। ‘ज्यादा मत बोलिए। क्या आप एक भी मौत को रोक पाए हैं? साथ ही उन्होंने कहा कि, कल्याणकारी राज्य का मतलब बड़ी-बड़ी इमारतें व सड़कें बनाना नहीं है बल्कि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं व भोजन देना भी है।
साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा कि, ‘आंगनवाड़ियों के बच्चों को मसूर दाल दी जा रही है। क्या यही पोषणकारी भोजन है? आपके पास उनके लिए काफी धन है। लेकिन यह धन जाता कहां है? क्या आप यह चाहते हैं कि जनता इस धन का हिसाब पूछे? हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को आदिवासी इलाकों की जरूरतों की सूची पेश करने को कहा है। ताकि उसके आधार पर जरूरी निर्देश जारी किए जा सके।
गौरतलब है कि न्यायालय में इस विषय पर अनेक जनहित याचिकाएं दायर हैं और वे यह साबित करती हैं कि विदर्भ के मेलघाट इलाके और अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण और बीमारियों से कितनी ज्यादा मौत हो रही हैं और बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।