अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता द्वारा उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में केरल की दो नन और दो प्रशिक्षिकाओं को जबरन एक चलती ट्रेन से उतारने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया है। ABVP कार्यकर्ता को शक था कि दो ननों, दो किशोरियों का धर्मांतरण के लिए लेकर जा रही हैं। कार्यकर्ता की शिकायत पर दोनों ननों और किशोरियों को झांसी स्टेशन पर उतार लिया गया। पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें धर्म परिवर्तन न कराने की क्लीन चिट दी, जिसके बाद में उन्हें दूसरी ट्रेन से रवाना कर दिया गया। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मामले में आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। वहीं, अमित शाह ने इस मामले में कार्रवाई का वादा किया है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने दो ननों और प्रशिक्षिकाओं पर धार्मातरण कार्यो में लिप्त होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पुलिस ने उनसे घंटों तक पूछताछ की। रेलवे स्टेशन पर एक जांच के बाद ही चारों को आगे बढ़ने की अनुमति दी गई थी, जिसमें पता चला की कोई धर्मातरण नहीं किया जा रहा था। बता दें कि, एबीवीपी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा है। भाजपा इस संगठन का वैचारिक गुरु है। अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, “झांसी के नन के उत्पीड़न की घटनाओं में शामिल लोगों को कानून के समक्ष लाया जाएगा।”
खबरों के मुताबिक, यह घटना 19 मार्च को हुई थी, जब नन हरिद्वार-पुरी उत्कल एक्सप्रेस में यात्रा कर रही थीं। ट्रेन के डिब्बे के 25 सेकंड का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि, कुछ महिलाएं पुरुषों से घिरी हुई हैं, उनमें से कुछ पुलिस वाले भी हैं। वीडियो में एक आदमी को कहते हुए सुना जा सकता है, “जाओ अपना सामान ले आओ। अगर तुम जो कह रहे हो वह सही है तो तुम्हें घर भेजा जाएगा।”
फिर नन की आवाज़ आती है, “ऐसे देश में चलेगा।” इसके बाद फिर संभवतः पुलिस की आवाज़ आती है जो शायद एबीवीपी के लोगों से कह रही है, “अरे बाहर चलो, क्या तुम नेतागिरी में लिप्त हो?” इसके बाद संभवतः एबीवीपी के शख्स की आवाज़ आती है, जिसमें वह कहता है, “अरे नेतागिरी नहीं करते तो कैसे पता चलता?” संभवतः फिर दूसरे पुलिस वाले की उन्हें घुड़कने की आवाज़ आती है, “जल्दी आओ रे..”। वहीं, एक अन्य वीडियो में महिलाएं झांसी रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म और फिर पुलिस स्टेशन में नज़र आती हैं।
झांसी में रेलवे पुलिस अधीक्षक नईम खान मंसूरी ने एक विस्तृत बयान में कहा, “एबीवीपी के कुछ सदस्य थे, जो झांसी जाने वाली उत्कल एक्सप्रेस में सवार होकर ऋषिकेश में एक प्रशिक्षण शिविर से लौट रहे थे। दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन से ओडिशा के राउरकेला तक जाने वाली चार ईसाई महिलाएं उसी ट्रेन में यात्रा कर रही थीं। उनमें से दो नन थीं और दो प्रशिक्षिकाएं थीं। एबीवीपी के इन सदस्यों को संदेह था कि ये दोनों नन अन्य दो महिलाओं को धर्म परिवर्तन के लिए ले जा रही हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने रेलवे सुरक्षा बल को सूचित किया, फिर रेलवे पुलिस को सूचित किया। इन एबीवीपी सदस्यों ने धर्मातरण के बारे में एक लिखित शिकायत भी दी। मैं भी मौके पर पहुंचा और पूछताछ की। इन पूछताछ से पता चला कि दो अन्य महिलाएं ओडिशा के राउरकेला की थीं और प्रशिक्षण के तहत थीं। हमने उनके प्रमाणपत्रों की जांच की और दोनों के पास 2003 बेपटिज्म प्रमाणपत्र थे और यह साबित किया कि जन्म से दोनों महिलाएं ईसाई थीं और कोई भी धर्मांतरण में शामिल नहीं था। इसके बाद हमने सभी चार महिलाओं को ओडिशा में उनके गंतव्य पर भेज दिया।”
…. but imagine the trauma the women went through simply because someone had a whim that two nuns were trying to convert two other women simply because they were all having a conversation . Also why has no action been taken against the goons who indulged in this act ? pic.twitter.com/K5W9uzrvOP
— Alok Pandey (@alok_pandey) March 24, 2021
इस घटना की केरल में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिख कर इस पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विजयन ने अपने पत्र में लिखा है, “ऐसी घटनाएं देश और उसकी धार्मिक सहिष्णुता की छवि दाग़दार करती हैं। केंद्र सरकार को ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करनी चाहिए। मेरी दरख्वास्त है कि आप इस मामले में हस्तक्षेप करें और इसमें शामिल उन सभी लोगों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करें जो संविधान से मिली नागरिक स्वतंत्रता को छीनने की कोशिश कर रहे हैं।”