उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के बाबा राघव दास(बीआरडी) मेडिकल कॉलेज और फर्रुखाबाद के सरकारी अस्पताल में नवजातों की मौत का मामला अभी ठंडा ही नहीं हुआ कि अब महाराष्ट्र में नासिक के सरकारी अस्पताल में सिर्फ पिछले महीने अगस्त में 55 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है।
फोटो- ANIबताया जा रहा है कि इन सभी बच्चों की मौत अस्पताल में पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की कमी के कारण यह मौते हुई हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ये मौतें वेंटिलेटर की कमी के चलते नहीं बल्कि इसके पीछे दूसरी कई वजहें हैं। सिविल सर्जन डॉ. सुरेश जगदाले के मुताबिक, इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है।
जगदले ने पीटीआई को बताया कि अप्रैल के बाद से खंड में 187 शिशुओं की मौत हुई लेकिन अगस्त महीने में 55 शिशुओं की जान चली गई। साथ ही जगदले ने सफाई देते हुए कहा, इनमें से अधिकतर मौतें निजी अस्पतालों से शिशुओं को अंतिम स्थिति में लाए जाने के कारण हुई और उनके बचने की गुंजाइश बहुत कम थी।
समय पूर्व जन्म और श्वसन तंत्र कमजोरी के कारण भी मौतें हुई। सिविल सर्जन ने कहा कि किसी भी मामले में चिकित्सकीय लापरवाही नहीं हुई। उन्होंने कहा, अस्पताल में 18 इनक्यूबेटर हैं और हमें जगह के अभाव में दो कभी-कभी तीन बच्चों को एक ही इनक्यूबेटर में रखना पड़ता है।
#Maharashtra: 55 infants dead in August in a Nashik district hospital due to lack of adequate ventilators and oxygen cylinders pic.twitter.com/stV3xDzmOJ
— ANI (@ANI) September 8, 2017
वहीं स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने कहा, यह तथ्य है कि शिशुओं को अंतिम स्थिति में सरकारी अस्पताल लाया गया। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी अस्पतालों में जल्द ही एक ‘‘प्रोटोकॉल’’ का पालन होगा।
बता दें कि, इससे पहले गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में पिछले महीने सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी। इनमें से 30 बच्चों की मौत सिर्फ 48 घंटे में ऑक्सीजन की कमी से हुई थी। इस हॉस्पिटल में पिछले एक साल के दौरान जनवरी में 152 बच्चों की मौत, फरवरी में 122, मार्च में 159, अप्रैल में 123, मई में 139, जून में 137, जुलाई में 128 और अगस्त में 325 बच्चों की मौत हुई है।
झारखंड के अस्पताल में 800 से ज्यादा बच्चों की मौत
इससे पहले झारखंड के दो मेडिकल अस्पतालों में इस साल अगस्त तक 800 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। ख़बर के मुताबिक, इसमें से ज्यादातर मौतें इंसेफलाइटिस की वजह से हुई हैं। इस साल अब तक राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में 660 बच्चों की मौत और जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में 164 मौतें होने की खबर है।