बाबरी मस्जिद विध्वंस के 25 साल: ‘उस एक दिन की वजह से आजादी के वक्त भारत ने जो सपने देखे थे, उनका अंत हो गया’

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उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद गिराए जाने के आज 25 साल पूरे हो गए। 6 दिसंबर 1992 को कट्टर हिंदुओं की भीड़ ने 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था। इसके बाद देश भर में हुए दंगों में करीब 2000 से अधिक लोग मारे गए थे। उस एक दिन का दंश आज भी अयोध्या सहित पूरा देश झेल रहा है।

File Photo: AFP

इस मौके को आज विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल शौर्य दिवस यानी विजय दिवस के तौर पर मना रहे हैं। वहीं, मुस्लिम संगठन इस दिन यौम-ए-गम यानी दुख का दिन के तौर पर मना रहे हैं। यह महज एक इत्तफाक है कि मस्जिद ढहाने की घटना के ठीक 25 साल पूरे होने से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू हुई है।

6 दिसंबर 1992 के उस एक दिन की वजह से आजादी के समय भारत ने जो सपने देखे थे, उनका अंत हो गया। नवभारत टाइम्स के मुताबिक यह बात बाबरी मस्जिद विध्वंस पर बनी फिल्म ‘नसीम’ के निर्माता सईद अख्तर मिर्जा ने कही थी। इस फिल्म में एक बुजुर्ग को दिखाया गया है, जिसका अपनी पोती ‘नसीम’ से गहरा लगाव होता है। लेकिन, जिस दिन बाबरी मस्जिद का विध्वंस होता है, उसी दिन लंबे समय से बिस्तर पर लगा बुजुर्ग शख्स दम तोड़ देता है।

भारत में आजादी के बाद यह एक ऐसी बड़ी घटना थी जिसने देश की राजनीतिक और सामाजिक तानेबाने को बुरी तरह झकझोर दिया था। आज भी इस मुद्दे की गूंज भारत की राजनीति में सुनाई देती है, लेकिन अयोध्या में हमेशा की तरह सौहार्द कायम है। अयोध्या से बाहर भले ही इसकी पहचान राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद से ही होती है। लेकिन अयोध्या के पास इन दोनों के इतर और भी बहुत कुछ है कहने को है।

मस्जिद गिरे आज 25 बरस बीत गए। आज ही के दिन हजारों की संख्या में कारसेवक ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’ के नारे लगा रहे थे और इस मस्जिद को ढहा रहे थे। 1990 के आसपास उभार लेने वाले राम मंदिर आंदोलन का यह सबसे बड़ा परिणाम सामने आया था। इस आंदोलन को संघ परिवार ने आगे बढ़ाया था। जबकि बीजेपी और वीएचपी के नेता इस पूरे आंदोलन के अगुवा थे।

अयोध्या वह जिला है जहां 6 दिसंबर 1992 को एक खतरनाक होली खेली गई थी, वो आज भी केवल जिल्लत की जिंदगी जी रहा है। इस घटना की वजह से अपने मुसलमान भाईयों के आगे हिंदु भाई अपना सिर झुका लेते हैं। भगवान राम के जन्मस्थान को लोग देश में ही विदेश में भी जानते हैं। लेकिन एक अंतरराष्ट्रीय फेम शहर होने के बाद भी अयोध्या आज भी गरीब है और लाचार है।

इस घटना के बाद भले ही मंदिर-मस्जिद को लेकर दूसरे शहरों में तनाव रहा होगा, लेकिन अयोध्या की जैसी बुनावट है कि यहां दोनों समुदायों में कभी कोई तनाव नहीं रहा। विवादों के कारण अयोध्या नगरी की सूरत तो बदली, लेकिन इसका मिजाज नहीं बदला है। हालांकि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद एक बार फिर ‘अयोध्या’ लगातार सुर्खियों में है।

 

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