भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के एक शीर्ष अधिकारी की तरफ से ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ शब्द के इस्तेमाल पर एतराज जताते हुए गुरुवार (9 मार्च) को कहा कि इसकी तुलना पीओके से नहीं की जा सकती।
भारत ने राज्य की नीति के एक औजार के तौर पर पाकिस्तान में आतंकवाद के इस्तेमाल पर अधिकारी की चुप्पी पर भी ‘हैरत’ जताई। मानवाधिकार परिषद के 34वें सत्र के दौरान मौखिक अपडेट में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने ‘भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर’ का जिक्र किया था। इसपन प्रतिक्रिया करते हुए भारत ने पुरजोर तरीके से कहा कि जम्मू-कश्मीर का पूरा राज्य उसका अनन्य हिस्सा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई सदस्य एवं राजदूत अजित कुमार ने यूएनएचसीआर के मौखिक अपडेट पर आम चर्चा के दौरान कहा, ‘जम्मू-कश्मीर की केन्द्रीय समस्या सरहद पार आतंकवाद है, और इसलिए, हमें हैरत है कि उच्चायुक्त पाकिस्तान के बारे में चुप हैं जो राज्य की नीति के एक औजार के तौर पर आतंकवाद का उपयोग करता है।’ कुमार ने कहा, ‘पाकिस्तान हमारी सरजमीन के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा बनाए है। दोनों की बराबरी नहीं की जा सकती और नहीं की जानी चाहिए। इसलिए ‘भारत प्रशासित कश्मीर’ की निरपेक्षता कृत्रिम है।’
हुसैन ने बुधवार (8 मार्च) को अपने संबोधन में कहा था, ‘जैसा कि आप वाकिफ हैं, मेरे दफ्तर को कई क्षेत्रों में पहुंच पाने में मुश्किल का सामना करना पड़ा है। सितंबर में, मैंने इस मुद्दे को परिषद में उठाया था और इथियोपिया, सीरिया, तुर्की का दक्षिण पूर्व क्षेत्र, वेनेजुएला और नियंत्रण रेखा की दोनों तरफ, भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को उजागर किया।’ जैद ने कहा कि कई इलाकों में जहां से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने गहन उल्लंघन के संकेत मिले, और जहां लगातार पहुंच देने से इनकार किया जा रहा है, इसने रिमोट मॉनिटरिंग शुरू की है और पड़ोसी देशों में तथ्यान्वेषण दल भेजे जा रहे हैं जिसकी रिपोर्ट यह सार्वजनिक करना चाहता है।
कुमार ने जम्मू-कश्मीर में ओएचसीएचआर के अधिकारियों को पहुंच देने से भारत के इनकार की हिमायत करते हुए कहा कि भारत ने पहुंच से इनकार के बारे में उच्चायुक्त के जिक्र को रेखांकित किया है और मानवाधिकार के प्रभावी प्रोत्साहन एवं सुरक्षा में ओएचसीएचआर की प्रभावी भूमिका को स्वीकार करता है।
उन्होंने कहा, ‘बहरहाल, संबंधित राज्यों के साथ टकराव पर सहयोग को प्राथमिता दी जाती है तो ज्यादा फायदा होगा।’ उन्होंने यह तथ्य बुलंद किया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बरखिलाफ जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार है जो तमाम हिस्सों के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।