पश्चिम बंगाल पुलिस ने ज़ी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी, संवाददाता पूजा मेहता और कैमरामैन तन्मय मुखर्जी के खिलाफ ईद-उल-नबी के अवसर पर धूलागढ़ में सांप्रदायिक तनाव की कथित तौर पर असंवेदनशील रिपोर्टिंग पर गैर जमानती धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है।
मीडिया रिपोट्स के अनुसार, ममता बनर्जी ने जी न्यूज के संपादक सुधीर चौधरी, रिपोर्टर पूजा मेहता और कैमरामैन तन्मय मुखर्जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इस एफआईआर की मुख्य वजह है कि पश्चिम बंगाल के धुलागढ़ में सांप्रदायिक हिंसा की रिपोर्टिंग के चलते सुधीर चौधरी ने कथित तौर पर गैर-जिम्मेदाराना तरीके से खबर को दिखाया था। दर्ज FIR में मुकदमा 153(A) जैसी गैर जमानती धाराओं में पंजीकृत किया गया है।
चौधरी और ज़ी न्यूज़ के अन्य स्टाफ पर जाति, धर्म, भाषा और जन्मस्थान के आधार पर विभिन्न समूहों में द्वेष फैलाने का आरोप है। (सवालों के घेरे में ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट नीचे देखिये )
आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल के धुलागढ़ में सांप्रदायिक हिंसा के चलते बीजेपी और तृणमूल आमने-सामन आ गई थी एक धार्मिक जुलूस के रास्ते को लेकर बिगड़े थे। बीजेपी ने तृणमूल पर राज्य को बम फैक्ट्री बनाने का आरोप लगाया था। इस धार्मिक जुलूस के कारण एक बड़ा दंगा हो गया था।
धुलागढ़ के बनर्जी पाड़ा, पश्चिम पाड़ा, दक्षिण पाड़ा, दावनघाटा, नाथ पाड़ा सहित कुछ इलाकों में उपद्रवियों ने 100 से अधिक मकानों में तोड़फोड़ करते हुए गैस सिलिंडर से आग लगा दी गई थी। साथ ही इलाके में स्थित छोटी-बड़ी दुकानों को भी आग के हवाले कर दिया गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार 80 से अधिक दुकानें फूंकी गयी थी। जबकि आरोप था कि उपद्रवी एक-एक कर घरों और दुकानों पर बम से हमला करते गये लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
सुधीर चौधरी ने इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। चौधरी ने अपने फेसबुक पर जानकारी साझा करते हुए कहा है कि “आप सभी को सूचित करना चाहूंगा कि मेरे, ज़ी न्यूज़ रिपोर्टर पूजा मेहता और कैमरापर्सन तन्मय मुख़र्जी पर धूलागढ़ दंगो को कवर करने के लिए FIR दर्ज की गई है।
.@MamataOfficial Govt files FIR against me& @ZeeNews reporter for covering #DhulagarhRiots with Non Bailable sections.FIR for showing truth?
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) December 27, 2016
एफआईआर में गैर जमानती धाराएं शामिल है जो मेरे और मेरे सहयोगियों को गिरफ्तार करने की नीयत से लगाई गई है। पूजा मेहता सिर्फ 25 साल की है और उसे इस उम्र में ही ममता बनर्जी की असहिष्णुता का शिकार होना पड़ रहा है। एक नौजवान रिपोर्टर को एक मुख्यमंत्री की तरफ से यह सब कुछ देखना पद रहा है जो खुद को इस देश में लोकतान्त्रिक अधिकारों का चैंपियन बताती है।
यह एक गिरा हुआ कदम है जो एक चुनी हुई सरकार पुलिस के जोर पर मीडिया को दबाने की कोशिश की है क्योंकि वास्तविकता और असहज तथ्यों से दूर भागना चाहती है। जब मीडिया को सम्भाल नहीं पाते तो राज्य की मशीनरी का इस्तेमाल कर अपने प्रशासन की खामियों को छुपाना चाहते है। यह एक सामंती जमींदार प्रवृति वाली असहिष्णु मुख्यमंत्री है जो राज्य पुलिस का मनचाहे ढंग से इस्तेमाल कर रही है ।