सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (16 मई) को हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद आखिरकार कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक दल के नेता बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। येद्दियुरप्पा ने गुरुवार (17 मई) सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब येद्दयुरप्पा के समक्ष सदन में बहुमत साबित करने की चुनौती होगी। अगले 15 दिनों में उन्हें विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। इसलिए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अभी कर्नाटक में सियासी ड्रामा समाप्त नहीं हुआ है।
PHOTO: @ambkcsinghइस बीच कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने का मौका दिए जाने के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व वरिष्ठ नेता रहे यशवंत सिन्हा राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के सामने धरने पर बैठ गए हैं। इस बारे में यशवंत सिन्हा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट कर कहा, “बीजेपी द्वारा कर्नाटक में असंवैधानिक तरीके से जो सरकार बनाई गई है उसके खिलाफ मैं राष्ट्रपति भवन के सामने धरने पर बैठा हूं। आप सभी से अनुरोध है कि लोकतंत्र बचाने के लिए मेरे साथ आइए।”
बीजेपी द्वारा कर्नाटक में असंवैधानिक तरीके से जो सरकार बनाई गई है उसके खिलाफ मैं राष्ट्रपति भवन के सामने धरने पर बैठा हूं आप सभी से अनुरोध है कि लोकतंत्र बचाने के लिए मेरे साथ आइए। pic.twitter.com/dmdWENGA9F
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) May 17, 2018
बता दें कि पिछले काफी दिनों से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और आर्थिक फैसलों का खुलकर विरोध करने वाले बीजेपी के बागी वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने पिछले महीने 21 अप्रैल को आखिरकार पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया था। सिन्हा ने बीजेपी के साथ अपने संबंधों को तोड़ने की घोषणा करते हुए कहा था कि वह भविष्य में किसी भी पद के दावेदार नहीं होंगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि आज देश में लोकतंत्र खतरे में है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज मैं दलगत राजनीति से भी संन्यास लेता हूं।
बीजेपी के साथ-साथ यशवंत सिन्हा ने राजनीति से भी संन्यास का ऐलान कर दिया था। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषणा करते हुए कहा था कि मैं आज से दलगत राजनीति छोड़ रहा हूं। हालांकि, मैं इसके बाद कोई नया राजनीतिक दल नहीं बना रहा और ना ही चुनाव लड़ूंगा। उन्होंने कहा था कि आज मैं सभी तरह की दलगत राजनीति से सन्यास ले रहा हूं। आज मैं बीजेपी से भी अपने सभी संबंध खत्म कर रहा हूं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि मैं चुनावी राजनीति से बहुत पहले संन्यास ले चुका हूं और अब दलगत राजनीति से भी संन्यास ले रहा हूं। बता दें कि पूर्व वित्त मंत्री पिछले काफी समय से बीजेपी और मोदी सरकार से नाराज चल रहे थे। यशवंत सिन्हा ने अपने फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि, ‘मैं बीजेपी के साथ अपने सभी संबंधों को समाप्त करने का ऐलान करता हूं।’ गौरतलब है कि अटल बिहारी सरकार में अहम मंत्रालयों को संभालने वाले सिन्हा ने हाल के दिनों में मोदी सरकार की तीखी निंदा की थी।
सुप्रीम कोर्ट में रातभर चली हाई वोल्टेज कानूनी लड़ाई के बाद येद्दियुरप्पा ने ली शपथ
बता दें कि सरकार बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रातभर चली हाई वोल्टेज कानूनी लड़ाई के बाद येद्दियुरप्पा दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। लिंगायत समुदाय में खासा प्रभाव रखने वाले 75 वर्षीय येद्दियुरप्पा को राज्यपाल वजुभाई वाला ने राजभवन में एक समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सुप्रीम कोर्ट ने येद्दियुरप्पा के शपथ लेने पर रोक लगाने से इनकार किये जाने के कुछ घंटों बाद ही बीजेपी नेता ने अकेले शपथ ली।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने बुधवार (16 मई) रातभर चली दुर्लभ सुनवाई के बाद येद्दियुरप्पा के कनार्टक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। बुधवार देर रात दो बजकर 11 मिनट से गुरुवार सुबह पांच बजकर 58 मिनट तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य में शपथ ग्रहण और सरकार के गठन की प्रक्रिया न्यायालय के समक्ष इस मामले के अंतिम फैसले का विषय होगा।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति एस के बोबडे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक विशेष पीठ ने कहा, ‘‘न्यायालय बी एस येद्दियुरप्पा के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने के संबंध में कोई आदेश नहीं दे रहा है। अगर वह शपथ लेते हैं तो यह प्रक्रिया न्यायालय के समक्ष इस मामले के अंतिम फैसले का विषय होगा।’’ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार सुबह की तारीख तय की और बीजेपी द्वारा कर्नाटक के राज्यपाल को दिये गए विधायकों के समर्थन वाला पत्र पेश करने का आदेश दिया है।
राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राम जेठमलानी
इस बीच कांग्रेस के बाद अब देश जानेमाने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने भी कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जेठमलानी ने राज्यपाल के फैसले के खिलाफ गुरुवार (17 मई) को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उन्होंने राज्यपाल के फैसले को ‘‘संवैधानिक शक्ति का घोर दुरुपयोग’’ बताया है। राम जेठमलानी ने कहा, “राज्यपाल का आदेश संवैाधानिक शक्तियों का घोर दुरुपयोग है, इससे वह जिस पर विराजमान हैं उसकी मर्यादा को ठेस पहुंचा है।”
उन्होंने कहा कि वह किसी पार्टी के समर्थन या विरोध में सुप्रीम कोर्ट नहीं आए हैं। बल्कि राज्यपाल ने जिस तरह से फैसला लिया है उससे वह आहत हुए हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने तत्काल सुनवाई के लिए दायर की गई जेठमलानी की याचिका पर विचार किया और कहा कि गुरुवार तड़के कर्नाटक मामले की सुनवाई करने वाली तीन सदस्यीय स्पेशल बेंच शुक्रवार को इस पर सुनवाई करेगी। हालांकि उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वह किसी पार्टी की तरफ से नहीं आए हैं।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक जेठमलानी ने कहा, ‘मैं इस मामले में व्यक्तिगत तौर पर अपना पक्ष रखना चाहता हूं। इस पर कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। मैं निजी तौर पर आया हूं किसी पार्टी के तरफ से नहीं आया।’ इसपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ‘यह मामला जस्टिस एके सिकरी की अगुवाई वाली बेंच सुन रही है। वह बेंच शुक्रवार को बैठेगी। लिहाजा आप इस मामले को वहां उठा सकते हैं।’ इसके बाद जेठमलानी ने कोर्ट के बाहर निकले जेठमलानी ने राज्यपाल के आदेश को संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग बताया।
‘विश्वास मत जीतने का 100 फीसदी भरोसा है’
कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बी एस येद्दियुरप्पा ने गुरुवार को कहा कि उन्हें विधानसभा में विश्वास मत जीतने और पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का 100 फीसदी भरोसा है। उन्होंने कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन को ‘‘अपवित्र’’ बताया और आरोप लगाया कि लोगों ने उन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद वे सत्ता हथियाने की कोशिश में है। समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक येद्दियुरप्पा ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास मत में जीत हासिल करने और मेरी सरकार के पांच साल पूरे करने का विश्वास है।’’
सुप्रीम कोर्ट में रातभर चली दुर्लभ कानूनी लड़ाई के बाद शपथ लेने के तुरंत बाद येद्दियुरप्पा ने पहला संवाददाता सम्मेलन संबोधित किया। येद्दियुरप्पा ने सभी विधायकों से अपने ‘‘विवेक’’ के अनुसार और जनादेश बनाए रखने के लिए वोट देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सफलता का 100 फीसदी भरोसा है। मेरे पास मेरे और मेरी पार्टी के लिए लोगों का समर्थन है।’’ येद्दियुरप्पा के सामने अब 112 विधायकों का समर्थन पेश करने की चुनौती है।
क्या है विधानसभा की स्थिति?
बता दें कि 224 सदस्यीय विधानसभा में 222 सीटों पर मतदान हुआ था जिसमें बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं। इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी, कर्नाटक प्रज्ञावंत जनता पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में 1-1 सीट आई थी। बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत थी जो कि सबसे बड़े दल बीजेपी के पास नहीं थी। सदन में बीजेपी के पास 104 विधायक हैं जो बहुमत के 112 के आंकड़े से आठ विधायक कम है।
वहीं, जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने भी कांग्रेस के समर्थन पत्र के साथ राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था। कांग्रेस और जेडीएस के पास कुल मिलाकर 115 सीटें हैं जो बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से तीन अधिक हैं। बता दें कि 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 112 सीटें जरूरी हैं। कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से 222 सीटों के लिए मतदान हुआ था। जयनगर सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के निधन के बाद चुनाव रद्द कर दिया गया जबकि आर आर नगर सीट पर कथित चुनावी कदाचार के चलते मतदान 28 मई के लिए टाल दिया।