कैग का सवाल: देरी से चलने वाली ट्रेनों पर सुपरफास्ट शुल्क क्यों?

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अगर गाड़ी समय पर नहीं चलती तो यात्रियों को सुपरफास्ट अधिभार वापस किया जाना चाहिए। कैग ने सुपरफास्ट ट्रेनों में यात्रियों से वसूले जाने वाले अधिभार पर सवाल उठाते हुए रेलवे से ये बातें कही हैं। संसद के दोनों सदनों में शुक्रवार(21 जुलाई) को पेश एक रिपोर्ट में कहा गया कि रेलवे में मौजूदा नियमों में एसी कोचों में वातानुकूलन की सुविधा नहीं सुलभ हो पाने पर किराये में शामिल प्रभार को वापस करने का प्रावधान है।लेकिन यात्रियों को सुपरफास्ट सेवा प्रदान नहीं किए जाने पर सुपरफास्ट अधिभार को वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। ब्रॉड गेज लाइन पर यदि ट्रेन की औसत गति 55 किलोमीटर प्रतिघंटा तथा मीटरगेज लाइन पर 45 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक है तो उसे सुपरफास्ट गाड़ी का दर्जा दिया जाता है। इसमें यात्र करने पर प्रति यात्री 15 से लेकर 75 रुपये का सुपरफास्ट अधिभार लिया जाता है।

कैग ने उत्तर मध्य रेलवे की 36 में से 11 एवं दक्षिण मध्य रेलवे की 70 में से 10 सुपरफास्ट ट्रेनों के परिचालन की जांच की। उन्होंने पाया कि ये 21 ट्रेनें आरंभिक स्टेशनों से 13.48 प्रतिशत दिन देरी से चलीं और गंतव्य स्टेशन पर 95.17 दिन देरी से पहुंचीं। ये सुपरफास्ट ट्रेनें 16804 दिनों में से 5599 दिन देरी से चलीं।

कैग रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे बोर्ड को सुपरफास्ट अधिभार की अनियमित वसूली पर पुनर्विचार के लिए पत्र लिखा गया है लेकिन बोर्ड ने इस पर अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि फिलहाल ऐसा कोई नियम नहीं है कि अगर ट्रेन लेट हो जाए तो यात्रियों को उसका पैसा लौटाया जाए।

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