दिल्ली के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कारोबारी गोपाल अंसल की वह याचिका गुरुवार(9 मार्च) को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने भाई सुशील अंसल की तरह सजा में रियायत देने का अनुरोध किया था। हालांकि, अब उन्हें 20 मार्च तक सरेंड करना है पहले उन्हें 9 मार्च तक करना था।
फोटो: HTगोपाल अंसल को अब एक साल की सजा में से बची हुई अवधि जेल में भुगतने के लिये समर्पण करना होगा। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि, ‘गोपाल अंसल की याचिका खारिज की जाती है।’
न्यायमूर्ति गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने नौ फरवरी को बहुमत के फैसले में उम्र संबंधी जटिलताओं को देखते हुए 76 वर्षीय सुशील अंसल को राहत देते हुए उनकी सजा जेल में बिताई गयी अवधि तक सीमित कर दी थी, जबकि गोपाल अंसल को बाकी बची सजा काटने के लिए चार हफ्ते के अंदर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
इसके बाद गोपाल अंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर समानता के आधार पर फैसले में सुधार का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि वह 69 साल के हैं और उन्हें जेल भेजा गया तो उनके स्वास्थ्य की अपूर्णीय क्षति होगी।
पीठ के याचिका खारिज करने के बाद गोपाल अंसल की तरफ से पेश वरिष्ठ वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने न्यायालय को बताया कि नौ फरवरी के आदेश के मुताबिक गोपाल को चार हफ्तों के अंदर जेल की बची हुई सजा काटने के लिए आत्मसमर्पण करना था। यह अवधि आज खत्म हो रही है।
गौरतलब है कि 13 जून 1997 को हिन्दी फिल्म ‘बार्डर’ के प्रदर्शन के दौरान हुए को ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में हुए अग्निकांड में 59 दर्शकों की मौत हो गई थी।