नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन करने वालों के फोटोयुक्त बैनर-पोस्टर सार्वजनिक स्थलों से हटाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के निर्णय पर योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। हालांकि, इस बारे में अभी कोई निर्णय हुआ नहीं है, लेकिन इस संबंध में अधिकारियों ने हलचल तेज कर दी है। इस संबंध में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मशविरा करके और उनके निर्देशानुसार ही लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बारे में टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “हाई कोर्ट के आदेश का अध्ययन कराया जा रहा है। सरकार की पहली प्राथमिकता यूपी की 23 करोड़ जनता की सुरक्षा है, जो जनता के हित में होगा, उसी हिसाब से निर्णय लिया जाएगा।” इधर, लखनऊ में हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने सोमवार को लोकभवन में अफसरों के साथ बैठक की। बैठक में लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश, पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय और न्याय विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के मसले पर सरकार शीर्ष अदालत के अधिवक्ताओं से भी विधिक परामर्श लेगी। राज्य सरकार के पास कोर्ट के आदेश पर अमल करने के लिए लगभग एक हफ्ते का समय है। समाचार एजेंसी एएनआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया है कि अब योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देने जा रही है। बताया जा रहा है कि होली के बाद ये याचिका दायर की जा सकती है।
Uttar Pradesh Govt Sources: The state government will appeal to the Supreme Court against Allahabad High Court's order to immediately remove hoardings naming accused in anti-CAA protests. The state govt will file the appeal after Holi.
— ANI UP (@ANINewsUP) March 9, 2020
समाचार एजेंसी एएनआई ने सीएम योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार शलभमणि त्रिपाठी के हवाले से लिखा है, ‘अभी हम लोग इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को जांच रहे हैं। इसमें देखा जा रहा है कि किसके आधार पर पोस्टर हटाने का आदेश दिया गया है। हमारे विशेषज्ञ इसे जांच रहे हैं, सीएम को फैसला लेना है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह सच है कि कोर्ट सबसे ऊपर है, कई विकल्प हैं। सरकार तय करेगी कि अब कौन से विकल्प का सहारा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री को इस पर फैसला लेना होगा। लेकिन यह तय है कि सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को बिल्कुल नहीं बख्शा जाएगा।’
Shalabh Mani Tripathi, Media Advisor to UP CM: It is true that the Court is above all, there are many options. Govt will decide what option to go for. But it is a fact that none of the people, who damaged public properties, will be spared. (2/2)
— ANI UP (@ANINewsUP) March 9, 2020
बता दें कि, सीएए के खिलाफ लखनऊ में प्रदर्शन करने वालों के फोटो सहित पोस्टर, बैनर लगाने को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गलत माना है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार लोगों की निजता व जीवन की स्वतंत्रता के मूल अधिकारों पर अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोर्ट ने लखनऊ के डीएम और पुलिस कमिश्नर को पोस्टर-बैनर हटाने का निर्देश दिया है और 16 मार्च को अनुपालन आख्या मांगी है।
गौरतलब है कि, नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा के आरोपियों की फोटो वाली होर्डिंग लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर लगाई गई है। इनमे सार्वजनिक और निजी सम्पत्तियों को हुए नुकसान का विवरण है। साथ ही लिखा है कि सभी से नुकसान की भरपाई की जाएगी। आरोपियों से वसूली के लिए शहरभर में लगाए गए पोस्टर और होर्डिंग्स को लेकर सोशल मीडिया और जमीन पर विरोध शुरू हो गया है। राजनीतिक दल, समाजसेवी संस्थाओं के लोग इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं। (इंपुट: आईएएनएस के साथ)