“लोग किस तरह से कपड़े पहनें, इससे नेताओं का कोई लेना-देना नहीं है”: उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के ‘‘फटी जींस’’ वाले बयान पर बोलीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने महिलाओं की ‘फटी जींस’ के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी देने के लिए अपने भाजपा सहयोगी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को फटकार लगाई है। नरेंद्र मोदी सरकार में महिला और बाल विकास मंत्रालय संभालने वाली स्मृति ईरानी ने कहा कि लोग किस तरह से कपड़े पहनें, इससे नेताओं का कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि उनका काम नीति निर्धारण करना और कानून का शासन सुनिश्चित करना है।

केंद्रीय मंत्री ने टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव के सातवें संस्करण में कहा कि कुछ चीजें पवित्र हैं और उनमें से एक है महिलाओं का अपनी जिंदगी जीने के तरीके को चुनना और जिस तरीके से वे उपयुक्त समझें, समाज से जुड़ने का। ईरानी ने कहा, ‘‘नेताओं का इस बात से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए कि लोग किस तरह से कपड़े पहनते हैं, क्या खाते हैं, वे क्या करते हैं क्योंकि हमारा काम नीति बनाना है और कानून का शासन सुनिश्चित करना है। कई नेताओं ने गलत बयानी की है।’’

वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ‘‘फटी जींस’’ टिप्प्पणी को लेकर हुए विवाद पर प्रतिक्रिया दे रही थीं।केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को यह टिप्पणी की। रावत उस समय आलोचनाओं के घेरे में आ गए जब उन्होंने कहा कि मूल्यों में आई गिरावट युवाओं के अजीबोगरीब फैशन से झलकता है और वे घुटने पर फटी जींस पहनकर अपने को खास समझने लगते हैं।

दरअसल, एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि संस्कारों के अभाव में युवा अजीबोगरीब फैशन करने लगे हैं और घुटनों पर फटी जींस पहनकर खुद को बड़े बाप का बेटा समझते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे फैशन में लडकियां भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आजकल के बच्चे बाजार में घुटनों पर फटी जींस खरीदने जाते हैं और अगर फटी न मिले तो उसे कैंची से काट लेते हैं।

उन्होंने इस संबंध में एक घटना का भी उल्लेख किया और बताया कि एक बार जब वह हवाई जहाज में बैठे तो उनके साथ एक महिला बैठी थीं जो गम बूट पहने हुई थीं, उनकी जींस घुटनों पर फटी थीं, हाथों में कई कडे थे और उनके साथ दो बच्चे भी थे। रावत ने कहा कि वह महिला एनजीओ चलाती हैं जो समाज के बीच में जाती हैं और स्वयं उनके दो बच्चे हैं लेकिन घुटने फटे हुए हैं तो ऐसे में वह क्या संस्कार देंगीं।

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