उत्तर प्रदेश पुलिस पीड़ित नागरिकों को राहत देने के लिए जिस प्रकार से सोशल मीडिया का उपयोग कर लोगों की सहायता कर रही है इससे राज्य में एक नई क्रांति आ गई है। माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर के माध्यम से संकट में फंसे लोगों की एक गुजारिश पर जिस रफ्तार से यूपी पुलिस जवाब देकर कार्रवाई कर रही है वह काबिले तारीफ है।पिछले साल जहां 72 हजार से अधिक लोगों की मदद ट्विटर के जरिए हुई। वहीं मारपीट, अभद्रता और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर 90 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया। 22 पुलिसकर्मी लाइन हाजिर कर दिए गए और 18 पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
पिछले दिनों सोशल मीडिया प्रभारी राहुल श्रीवास्तव ने आंकड़े जारी करते हुए बताया था कि पिछले साल वर्ष 2017 में सवा दो लाख से अधिक लोगों ने ट्विटर के जरिये पुलिस में शिकायत की। इनमें 79,761 शिकायतों को कार्रवाई योग्य पाया गया। इनमें से 72 हजार यानी 92 प्रतिशत शिकायतों का निपटारा किया गया।
बता दें कि वर्ष 2016 में अखिलेश यादव की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस जनता की परेशानियां और उन पर कार्रवाई की स्थिति जानने के लिये ‘ट्विटर’ का सहारा लेने का फैसला किया था। इसके लिये राज्य के सभी जिलों के थानों को अपने ट्विटर अकाउंट खोलने के निर्देश दिये गये थे।
जिसके बाद जनता से बेहतर संवाद करने, उसकी समस्याओं को सुनने तथा पुलिस द्वारा उन पर की गयी कार्रवाई पर नजर रखने के मद्देनजर सभी थाने अपने-अपने ट्विटर अकाउंट खोले गए। जिसके बाद से समय-समय पर यूपी पुलिस के ट्विटर हैंडल से अलग-अलग मुहिम चलाई गई। बीते साल यूपी पुलिस सोशल मीडिया पर खासी सक्रिय दिखी।
यूजर के सवाल पर फंस गई यूपी पुलिस
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक वीडियो जारी कर अपनी उपलब्धि बताई है। राज्य पुलिस द्वारा जारी 45 सेकंड के इस वीडियो में उन तमाम कार्रवाईयों का जिक्र किया गया है जो ट्विटर पर मिले शिकायतों के बाद किया गया। यूपी पुलिस ने वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, “न कागज, ना थाना, पड़ गया ट्वीट पे जेल जाना”
न कागज, ना थाना
पड़ गया ट्वीट पे जेल जाना।@moradabadpolice@PMOIndia @CMOfficeUP @UPGovt @TwitterIndia pic.twitter.com/kE1PDIZYG7— UP POLICE (@Uppolice) January 7, 2018
यूपी पुलिस के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अभय गुप्ता नाम के एक यूजर ने लिखा, “एक ऐसा व्यक्ति है जो अपने और अपने साथियों के खिलाफ 22 साल पुराने मामले को वापस लेने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग कर रहा है। क्या आप इससे मेरी सहायता कर सकते हैं?”
There is a guy who is using his power to withdraw a 22 year old case against him and many of his fellows. Can you help with this?
— Abhay Gupta (@SimplyAbhay) January 7, 2018
अभय गुप्ता को फौरन जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने मामले की पुरी जानकारी मांगी। यूपी पुलिस ने ट्वीट करके कहा, “कृपया अपनी समस्या का एक संक्षिप्त विवरण बताइए।”
Please tell a brief description of your problem.
— UP POLICE (@Uppolice) January 7, 2018
इसके बाद गुप्ता ने यूपी पुलिस को उस खबर का लिंक ट्वीट किया, जिसमें पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं के खिलाफ चल रहे 22 साल पुराने मुकदमों को रद्द करने का आदेश जारी किया था। अभय गुप्ता के इस रिप्लाई के बाद यूपी पुलिस शांत हो गई और कोई जवाब नहीं दिया।
https://t.co/ip6uGr5Qt3
Here are the details of it
This person @myogiadityanath got some power few months back to help citizens of UP. But instead he used it to withdraw cases against him.@Memeghnad @kunalkamra88 see UP POLICE will solve this case and protect law system.— Abhay Gupta (@SimplyAbhay) January 7, 2018
CM योगी ने स्वयं के खिलाफ चल रहे मुकदमों को रद्द करने का जारी किया फरमान
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमों को रद्द करने का फरमान जारी किया है। योगी सरकार ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के खिलाफ 22 साल पुराने एक प्रकरण को वापस लेने के आदेश जारी किये है। मुख्यमंत्री के साथ ही 12 अन्य पर लगा 22 साल पुराना धारा-144 (निषेधाज्ञा) का उल्लंघन करने संबंधी प्रकरण भी वापस लिया जाएगा।
सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ करीब 8 मामले चल रहे थे, जबकि अन्य नेताओं के खिलाफ करीब 20 हजार केस दर्ज हैं। गोरखपुर के अपर जिला अधिकारी रजनीश चन्द्र ने बताया था कि राज्य मुख्यालय से आदेश मिला है और इसके लिए उनकी तरफ से अदालत में आवेदन किया जाए। उन्होंने कहा कि अभियोजन अधिकारी से कहा गया है कि वह संबंधित अदालत में मामले वापस लेने के लिये प्रार्थना पत्र दाखिल करें।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला, बीजेपी विधायक शीतल पांडेय समेत 10 लोगों के खिलाफ 27 मई 1995 को गोरखपुर के पीपीगंज पुलिस स्टेशन में धारा-144 (निषेधाज्ञा) का उल्लंघन कर एक जनसभा करने का मामला दर्ज किया गया था। जनवरी 2007 में गोरखपुर में दंगा भड़का था।
आरोप है कि उस समय वहां के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मोहर्रम के जुलूस के मौके पर दो समुदायों के लोगों के बीच टकराव में एक युवक की मौत होने के बाद कथित रूप से भड़का भाषण दिया था। तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी को तब गिरफ्तार किया गया था और 10 दिनों तक जेल में रखा गया था। अदालत से जमानत मिलने पर वह बाहर आए थे।