उत्तर प्रदेश के कासगंज में इस साल गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन तिरंगा यात्रा के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा मामले में कई सनसनीखेज खुलासा हुआ है। एक स्वतंत्र जांच में किए गए तहकीकात में सामने आया है कि यूपी पुलिस की जांच में कासगंज हिंसा मामले में कथित तौर पर हिंदुओं को बचाने की कोशिश की गई है जबकि बेगुनाह मुसलमानों को फर्जी तरीके से फंसाया गया है। इस रिपोर्ट को देश और विदेश में कार्यरत कई सामाजिक और मानवाधिकार संगठनों ने समर्थन किया है। बुधवार (29 अगस्त) को कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रेस कॉन्फेंस कर यूपी पुलिस पर भेदभाव का आरोप लगाया।
(File Photo PTI)आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी 2018 को नई दिल्ली से 220 किलोमीटर पूर्व उतर प्रदेश के कासगंज शहर में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था। जिसके बाद हिंसा और आगज़नी के साथ फायरिंग भी हुई जिसमें गोली लगने से एक शख्स की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक गणतंत्र दिवस के मौक़े पर जब कुछ हिंदू युवक मोटरसाइकिल पर सवार होकर तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे, तो कुछ मुसलमानों ने उस यात्रा में बांधा पहुंचाई जिसके बाद हिंसा भड़क गई।
कथित हत्यारें को मिलाकर पुलिस ने 25 मुसलमानों को आरोपी बनाया और दो हफ्ते के भीतर अधिकतर को गिरफ्तार भी कर लिया। जबकि ये स्वतंत्र रिपोर्ट बताती है कि किस तरह पुलिस ने हिंसा के लिए जिम्मेदार हिंदुओं को बचाया और बेगुनाह मुसलमानों को फंसाया है। इस छल की शुरुआत एक ही जगह दो प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करके की गई।
गवाहों के मुताबिक वहां हिंदू भी गोली चला रहे थे। एक FIR होता तो हिंदू भी फंसते क्योंकि ये बताना मुश्किल होता कि मरने वाला हिंदू युवक चंदन गुप्ता किसकी गोली से मरा था। हत्या के लिए अलग एफआईआर करने का फायदा ये हुआ कि उसमें सिर्फ मुसलमानों को फंसाया जा सका।
कासगंज हिंसा में चंदन गुप्ता की हत्या का कथित आरोपी सलीमहत्या के आरोपी की वजह से मुसलमानों को जमानत मिलने में छह महीने लग गए। पांच मुसलमान अभी भी जेल में हैं, क्योंकि हिंदू सिर्फ हिंसा के एफआईआर के आरोपी हैं सबको जमानत मिल गई है। कुछ तो चंदन की हत्या के चश्मदीद गवाह भी बना दिए गए हैं।
गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के मौके पर तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदायों में भिड़ंत हो गई जिससे तनाव व्याप्त हो गया। इस दौरान दोनों समुदायों की और से जमकर पथराव और आगजनी की गई।
इसके बाद वहां तोड़-फोड़ और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। साथ ही उपद्रवियों ने शहर के कई दुकानों में भी आग लगा दी थी। इस हिंसा में 22 वर्षीय चंदन गुप्ता नाम के युवक की जान चली गई थी, वहीं अकरम नाम के एक युवक की एक आंख फोड़ दी गई थी।
Investigative Report Exposes Gaping Holes In FIR/Charge-sheet
Posted by Janta Ka Reporter on Wednesday, 29 August 2018