उन्होंने कहा कि तलाक देने के इस तरीके में किसी तरह का बचाव नहीं है। एक तरफा शादी तोड़ना घिनौना है और इसलिए इससे बचा जा सकता है। जेठमलानी ने कहा कि तीन तलाक लैंगिक आधार पर भेदभाव करता है और यह तरीका पवित्र कुरान के सिद्धांतों के भी खिलाफ है और इसके पक्ष में कितनी भी वकालत इस पापी और असंगत परपंरा को, जो संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है, बचा नहीं सकती है।
उन्होंने कहा कि कोई भी कानून एक पत्नी को पति की मर्जी पर पूर्व पत्नी बनने की इजाजत नहीं दे सकता और यह घोर असंवैधानिक आचरण है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस पीठ में विभिन्न धार्मिक समुदायों से ताल्लुक रखने वाले न्यायाधीश शामिल हैं। जस्टिस कुरियन जोसेफ (ईसाई), आरएफ नरीमन (पारसी), यूयू ललित (हिंदू), अब्दुल नजर (मुस्लिम) और इस बेंच की अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर (सिख) शामिल हैं।