तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे सुनवाई के दौरान मंगलवार(16 मई) को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(AIMPLB) ने शीर्ष अदालत से कहा कि तीन तलाक आस्था का मामला है, जिसका मुस्लिम बीते 1,400 वर्षों से पालन करते आ रहे हैं। इसलिए इस मामले में संवैधानिक नैतिकता और समानता का सवाल नहीं उठता है।
फोटो: Bar & Benchमुस्लिम संगठन ने तीन तलाक को हिंदू धर्म की उस मान्यता के समान बताया, जिसमें माना जाता है कि भगवान राम अयोध्या में जन्मे थे। एआईएमपीएलबी की ओर से पेश पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि तीन तलाक सन 637 से है।
उन्होंने कहा कि इसे गैर-इस्लामी बताने वाले हम कौन होते हैं। मुस्लिम बीते 1,400 वर्षों से इसका पालन करते आ रहे हैं। यह आस्था का मामला है। इसलिए इसमें संवैधानिक नैतिकता और समानता का कोई सवाल नहीं उठता।सिब्बल ने एक तथ्य का हवाला देते हुए कहा कि तीन तलाक का स्रोत हदीस पाया जा सकता है और यह पैगम्बर मोहम्मद के समय के बाद अस्तित्व में आया। मुस्लिम संगठन ने ये दलीलें जिस पीठ के समक्ष दी उसका हिस्सा न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी हैं।
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