सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 अप्रैल) को बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती को करारा झटका देते हुए उनकी अर्जी खारिज कर दी है। मायावती ने चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा उन पर लगाए गए 48 घंटे के प्रतिबंध के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी जिस पर अदालत ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। मायावती की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने दिन में प्रस्तावित महत्वपूर्ण बैठकों का हवाला देते हुए अदालत से उनकी दलील सुनने का आग्रह किया था, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया। अदालत ने कहा कि अगर आप व्यथित हैं तो अलग से एक याचिका दाखिल करें।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कथित तौर पर नफरत भरे भाषण देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बसपा सुप्रीमो मायावती और अन्य नेताओं के खिलाफ निर्वाचन आयोग की कार्रवाई पर मंगलवार को संतोष व्यक्त किया।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने बसपा सुप्रीमो मायावती के चुनाव प्रचार करने पर निर्वाचन आयोग द्वारा लगाए 48 घंटे के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया। पीठ ने मायावती के वकील से कहा कि निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ अलग से अपील दायर करें।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर कसा तंज
निर्वाचन आयोग की कार्रवाई का संज्ञान लेते हुए शीर्ष अदालत ने तंज कसते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव आयोग ‘‘जाग गया’’ है और उसने विभिन्न नेताओं को अलग-अलग समय तक चुनाव प्रचार करने से रोक दिया है। पीठ ने स्पष्ट किया कि अभी इसमें आगे किसी और आदेश की जरुरत नहीं है। बता दें कि न्यायालय की फटकार के बाद निर्वाचन आयोग ने सोमवार की दोपहर को आदित्यनाथ, मायावती, आजम खान और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के खिलाफ कार्रवाई की।
इससे पहले सोमवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने इस मामले में खुद को ‘दंतविहीन’ बताया था। वहीं, चुनाव आयोग ने मंगलवार को कोर्ट से कहा कि उसने पाया कि उसके पास काफी शक्तियां है। इससे पहले सोमवार को आयोग ने कोर्ट मे कहा था कि उसके पास ऐसे लोगों पर कार्रवाई की सीमित शक्तियां हैं। अब नेताओं पर कार्रवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है।
Supreme Court takes note of action taken by Election Commission against politicians who made statements violating model code of conduct and says, "it seems Election Commission has woken up to its power and taken action against politicians." pic.twitter.com/HcXowvqKeU
— ANI (@ANI) April 16, 2019
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने भी चुनाव प्रचार के दौरान बसपा प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित रूप से विद्वेष फैलाने वाले भाषणों का सोमवार को संज्ञान लिया था और निर्वाचन आयोग से जानना चाहा कि उसने इनके खिलाफ अभी तक क्या कार्रवाई की है।
योगी और मायावती नहीं कर पाएंगे चुनाव प्रचार
चुनाव आयोग ने सोमवार (15 अप्रैल) को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर क्रमश: 48 और 72 घंटों तक लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्रचार करने पर रोक लगा दी है।दोनों पर कार्रवाई आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन करने पर की गई है। चुनाव आयोग ने अलग-अलग आदेश जारी कर कहा कि दोनों को चुनाव प्रचार करने से रोका गया है।
आयोग ने इन दोनों नेताओं को मंगलवार यानी 16 अप्रैल को सुबह छह बजे से उन्हें चुनाव प्रचार में भाग लेने, जनसभाएं करने, रोड शो आयोजित करने, मीडिया के सामने बयान देने और साक्षात्कार देने आदि पर रोक लगाई है। आयोग ने योगी आदित्यनाथ को नौ अप्रैल को मेरठ में आपत्तिजनक और विवादास्पद भाषण देने के मामले में नोटिस जारी किया था जबकि मायावती को देवबंद में सात अप्रैल को भड़काऊ भाषण देने के मामले में नोटिस जारी किया था।
मायावती ने सहारनपुर की रैली में मुसलमानों से सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के पक्ष में एक समेकित तरीके से मतदान करने के लिए कहा था तो योगी ने मेरठ में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नीयत से ‘अली और बजरंगबली’ वाला बयान दिया था। उन्होंने गाजियाबाद की रैली में भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ कहा था। इस पर भी आयोग से शिकायत की गई थी।
आजम खान और मेनका गांधी पर भी लगाया बैन
योगी और माया के अलावा चुनाव आयोग ने सोमवार शाम को ही केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को विवादित बयान देने के मामले में मंगलवार से अलग अलग अवधि के लिए चुनाव प्रचार करने से रोक दिया है। आयोग ने सोमवार को इस बारे में आदेश जारी कर मेनका गांधी को मंगलवार (16 अप्रैल) को सुबह दस बजे से अगले 48 घंटे तक देश में कहीं भी किसी भी प्रकार से चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने से रोक दिया है। इसी तरह एक अन्य आदेश में आजम खान को भी मंगलवार सुबह दस बजे से अगले 72 घंटे तक चुनाव प्रचार करने से रोका गया है।
उल्लेखनीय है कि मेनका गांधी उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से बीजेपी की और आजम खान रामपुर संसदीय क्षेत्र से सपा के उम्मीदवार हैं। आयोग ने मेनका गांधी को 11 अप्रैल को सुल्तानपुर में एक नुक्कड़ सभा में एक संप्रदाय विशेष के बारे में की गई विवादित टिप्पणी से आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए उक्त अवधि में प्रचार करने से रोका है।
इसी प्रकार आयोग ने आजम खान के बीजेपी की प्रत्याशी जयाप्रदा के बारे में रविवार को दिए गये आपत्तिजनक बयान को चुनाव आचार संहिता उल्लंघन मानते हुए उन्हें इस रवैये पर कड़ी फटकार लगाते हुए अगले तीन दिन तक प्रचार करने से रोक दिया है। आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत प्रदत्त अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए दोनों नेताओं के रवैये की आलोचना करते हुए देश में कहीं भी प्रचार अभियान में हिस्सा लेने से रोका है।
बता दें कि यह पहला मौका है जब किसी केंद्रीय मंत्री (मेनका गांधी) को प्रचार अभियान में हिस्सा लेने पर देशव्यापी रोक लगाई गई है। वहीं, यह दूसरा मौका है जब आजम खान को आयोग द्वारा प्रचार करने से प्रतिबंधित किया गया हो।उल्लेखनीय है कि इससे पहले अप्रैल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान आयोग ने बीजेपी नेता गिरिराज सिंह को झारखंड और बिहार में प्रचार करने से रोका था। पिछले आम चुनाव के दौरान ही आयोग ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और सपा नेता आजम खान को उत्तर प्रदेश में प्रचार करने से रोका था।