मुकदमे में 13 साल की देरी होने पर सुप्रीम कोर्ट ने महिला से मांगी माफी

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सुप्रीम कोर्ट ने एक आपराधिक मुकदमे की सुनवाई शुरू होने में एक दशक से ज्यादा की देरी होने पर माफी मांगी है। हाई कोर्ट की ओर से 2 अलग-अलग लेकिन एक-दूसरे से जुड़े मामलों में एक ही दिन में दो विरोधाभासी आदेश देने की वजह से इस मुकदमे की सुनवाई में देरी हुई।

न्यूज़ एजेंसी भाषा की ख़बर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे एक कानूनी समस्या पैदा हो गई क्योंकि एक आदेश में मामले की जांच को रोक दिया गया जबकि दूसरे आदेश में उसने जांच जारी रहने की अनुमति दी। कानूनी पेचीदगियों में फंसा यह मामला वर्ष 2009 में हाई कोर्ट पहुंचा था।

अपने भाइयों के खिलाफ 2004 में शिकायत दर्ज कराने वाली महिला का अब निधन हो चुका है और उसका कानूनी प्रतिनिधि इस मामले का प्रतिनिधित्व कर रहा है। महिला ने अपनी दुकान हथियाने को लेकर अपने भाइयों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

न्यायमूर्ति आर.के अग्रवाल और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि हमें खेद है कि इस भ्रम से आपराधिक मुकदमा शुरू होने में एक दशक से ज्यादा की देरी हुई। पीठ ने महिला की अपीलों पर सुनवाई की अनुमति दी।

वर्ष 2004 में उत्तराखंड की रुड़की निवासी श्याम लता ने हरिद्वार के एसएसपी को दी लिखित शिकायत में आरोप लगाया था कि उसके दो भाइयों ने जाली दस्तावेज और हस्ताक्षर बनाए और दावा किया कि उसने अपनी दुकान उन्हें किराए पर दी है।

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