उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार को जमकर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा कि मामला जब 302 का है तो गिरफ्तारी अबतक क्यों नहीं हुई।
फाइल फोटोउत्तर प्रदेश सरकार के रुख और रवैए पर सप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कहा है कि हत्या के गंभीर आरोप हैं। आरोपी चाहे जितने हैं उन पर वैसा एक्शन क्यूं नहीं जैसा होना चाहिए। इस मामले में लोकल अधिकारी कैसे निष्पक्ष जांच करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आठ लोगों की नृशंस हत्या है और कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए।
Supreme Court says it is not satisfied with the steps taken by the Uttar Pradesh government in the investigation of the Lakhimpur Kheri violence case pic.twitter.com/C76nuN9Dyr
— ANI (@ANI) October 8, 2021
कोर्ट ने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूपी सरकार मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जरूरी कदम उठाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वैकल्पिक एजेंसी के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है, जो जांच कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उसे आश्वासन दिया है कि मामले में सबूतों को संरक्षित करने के लिए राज्य के सर्वोच्च पुलिस अधिकारी को सूचित किया जाएगा।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि, लखीमपुर की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी जांच की जा रही है। दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। हम राज्य के लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और आरोपियों के लिए कोई पद या दबाव काम नहीं आएगा।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा और राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक कुश्ती मैच में दौरे के विरोध में किसान एकत्र हुए थे। किसान समूह दावा कर रहे हैं कि मिश्रा का बेटा एक कार में था, जब वाहन ने चार प्रदर्शनकारियों को कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। हालांकि उन्होंने इस आरोप से इनकार किया है।