सुप्रीम कोर्ट ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) की प्रक्रिया को लेकर केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि वह इस कवायद को आगे नहीं बढ़ने देने पर तुला हुआ है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय का पूरा प्रयास एनआरसी प्रक्रिया को बर्बाद करने का है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि NRC के लिए निर्धारित 31 जुलाई की समयसीमा अब आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। अदालत ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर NRC के मामले में सहयोग ना करने का आरोप लगाया है।
file photoपीटीआई के मुताबिक, इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह राज्य के कुछ अधिकारियों को चुनाव के काम से अलग कर दे, जिससे एनआरसी प्रक्रिया जारी रखना सुनिश्चित हो सके। दरअसल, गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से एनआरसी के काम को 2 हफ्ते के लिए रोकने की गुजारिश की थी, क्योंकि सेन्ट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) चुनावी ड्यूटी में व्यस्त रहेंगी।
इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एनआरसी प्रक्रिया को पूरी करने की 31 जुलाई की डेडलाइन नहीं बढ़ेगी। सीजेआई ने कहा कि केंद्र एनआरसी प्रक्रिया को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है और ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय की पूरी कोशिश एनआरसी प्रक्रिया को बर्बाद करने की है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह असम के कुछ अफसरों को इलेक्शन ड्यूटी से मुक्त करने पर विचार करे ताकि एनआरसी प्रक्रिया का जारी रहना सुनिश्चित हो सके।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले 24 जनवरी को कहा था कि असम के लिए एनआरसी प्रक्रिया को पूरी करने की डेडलाइन 31 जुलाई 2019 है और यह नहीं बदलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार, एनआरसी को-ऑर्डिनेटर और चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि आगामी चुनाव की वजह से एनआरसी की प्रक्रिया धीमी न हो।
असम में एनआरसी का मसौदा 30 जुलाई 2018 को प्रकाशित हुआ था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे। पहली सूची में 40,70,707 लोगों का नाम शामिल नहीं था। इनमें से 37,59,630 नामों को खारिज किया जा चुका है और बाकी 2,48,077 नामों को होल्ड पर रखा गया है।