सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (31 अगस्त) को रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को एक बड़ा झटका देते हुए कंपनी द्वारा नोएडा में अपने एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में बनाए गए दो 40-मंजिल टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था।
फाइल फोटोसुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (31 अगस्त) को रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को एक बड़ा झटका देते हुए कंपनी द्वारा नोएडा में अपने एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में बनाए गए दो 40-मंजिल टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को इन ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12% ब्याज के साथ रकम वापस करने का भी आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था। कोर्ट का कहना है कि नोएडा सेक्टर-93 में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया था और सुपरटेक द्वारा इन्हें अपनी लागत पर दो महीने की अवधि के भीतर तोड़ा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल, 2014 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ रियल्टी प्रमुख सुपरटेक लिमिटेड की याचिका पर अपना फैसला सुना रहा था, जिसमें नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना में इमारत के मानदंडों के उल्लंघन के लिए जुड़वां 40 मंजिला टावरों को ध्वस्त करने और स्वीकृत योजना प्रदान नहीं करने का निर्देश दिया गया था।