चुनावी बांड्स पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, कहा- ‘सभी राजनीतिक दल 30 मई तक चुनाव आयोग को दें चंदे और दानकर्ताओं के बैंक खाते का ब्यौरा’

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चुनावी बांड्स की वैधता को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (12 अप्रैल) को बड़ा फैसला देते हुए सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे चुनावी बांड्स की रसीदों और दानकर्ताओं की पहचान का ब्यौरा सील बंद लिफाफे में चुनाव आयोग को सौंपे।

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शीर्ष अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे चुनाव पैनल को 30 मई तक दान राशि एवं दानकर्ता के बैंक खाते का ब्यौरा सौंपे। यह निर्देश प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश एक स्वयं सेवी संगठन की याचिका पर दिया गया। इसमें इस योजना की वैधता को चुनौती देते हुए कहा गया था कि या तो चुनावी बांड्स को जारी करना स्थगित हो या चुनावी प्रक्रिया में शुचिता बनाए रखने के लिए दानकर्ताओं के नाम उजागर किए जाएं। सरकार ने दो जनवरी, 2018 को चुनावी बांड योजना को अधिसूचित किया था।

योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बांड्स को ऐसा कोई व्यक्ति खरीद सकता है जो भारत का नागरिक है या कंपनी जो भारत में स्थापित है। एक व्यक्ति, व्यक्तिगत तौर पर, एकल या अन्यों के साथ संयुक्त तौर पर चुनावी बांड्स खरीद सकता है।

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29क के तहत केवल ऐसे पंजीकृत राजनीतिक दल जिन्होंने गत चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत तक मत हासिल किए हों, वे ही चुनावी बांड्स प्राप्त करने के अहर्ता धारण करेंगे। इन बांड्स को योग्य राजनीतिक दल एक प्राधिकृत बैक के बैंक खाते के माध्यम से नकदी में बदल सकेंगे। (इनपुट भाषा के साथ)

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