सीलिंग तोड़ने के मामले में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, कानून हाथ में लेने के लिए आलोचना की

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (22 नवंबर) को उत्तर पूर्व दिल्ली के गोकुलपुर इलाके में एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान की सीलिंग तोड़ने के मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मनोज तिवारी द्वारा कोर्ट की अवमानना को कोई सबूत नहीं मिला है।

file photo- (मनोज तिवारी)

सुप्रीम कोर्ट ने सब कुछ बीजेपी पर छोड़ दिया है कि मनोज तिवारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक कोर्ट ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि तिवारी ने कानून अपने हाथ में लिया है। हम तिवारी के बर्ताव से आहत हैं। एक चुने हुए प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें कानून अपने हाथ में लेने की जगह जिम्मेदार रवैया अपनाना चाहिए।’

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत उनके आचरण की वजह से ‘काफी दुखी’ है क्योंकि वह निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और उसने कानून अपने हाथ में लेने के उनके कृत्य की निंदा की। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ‘गलत राजनीतिक प्रचार के लिये कोई जगह नहीं है’ और ‘इस तरह के आचरण की निंदा की जानी चाहिये।’

उत्तर पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुर गांव में एक डेयरी पर लगी सील तोड़ने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। मनोज तिवारी ने 16 सितंबर को इस पर लगी सील तोड़ी थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी की शिकायत पर मनोज तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना का नोटिस जारी किया था।

बता दें कि जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने मनोज तिवारी की दलीलें सुनने के बाद 30 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान मनोज तिवारी को कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए। सुप्रीम कोर्ट में 25 सितंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने मनोज तिवारी को कड़ी फटकार भी लगाई थी।

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