अयोध्या राम मंदिर मामले में अहम सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार(31 मार्च) को जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी से पूछा कि क्या आप इसके(अयोध्या मामला) पक्षकार हैं? फिलहाल हमारे पास आपको सुनने का वक्त नहीं है। बता दें कि भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने कोर्ट से मांग की थी कि संवेदनशील मामला होने के नाते इस मुद्दे पर जल्द से जल्द सुनवाई हो।
दरअसल, सुनवाई के वक्त स्वामी के अलावा इस केस से जुड़े दूसरे पक्षकार भी मौजूद थे, जिन्होंने स्वामी की याचिका पर आपत्ति जताई और कोर्ट को बताया कि ये केस से जुड़े पक्षकार नहीं हैं। कोर्ट ने स्वामी से कहा कि आपने हमें बताया नही कि आप मुख्य मामले में पार्टी नहीं हैं।
जिसके बाद स्वामी से स्वीकार किया कि वह पक्षकार नहीं है, हालांकि उन्होंने कहा कि उनके लिए यह धार्मिक आस्था का मामला है। स्वामी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें प्रॉपर्टी से मतलब नहीं है, उन्होंने बस पूजा करने के अपने संवैधानिक अधिकार के तहत यह याचिका दायर की है।
Supreme court bench to Subramanian Swamy: "What is your locus standi in the case? We don't have time to hear you now #RamTemple
— ANI (@ANI) March 31, 2017
जिसके बाद चीफ जस्टिस ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मुद्दे पर 21 मार्च को अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह मसला बेहद संवेदनशील मुद्दा है, अगर जरुरत पड़ी है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता करने को तैयार हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि राम मंदिर का मामला धर्म और आस्था से जुड़ा है।
इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के लिए कोई अगली तारीख भी निर्धारित नहीं की है। इसका मतलब यह हुआ कि निकट भविष्य में इस मामले में कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी।
आपको बता दे कि चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा था कि दोनों पक्षों को मिल-बैठकर अापस में इस मुद्दे को कोर्ट के बाहर हल करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अगर दोनों पक्ष आपसी बातचीत से कोई हल नहीं निकाल पाते, तो फिर कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर फैसला देने के लिए तैयार रहेगा।