ताजमहल के संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, योगी सरकार से 4 सप्ताह में मांगा विजन डॉक्यूमेंट

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (8 फरवरी) को विश्व प्रसिद्ध ताजमहल की सुरक्षा और उसके संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को चार सप्ताह के भीतर दृष्टिपत्र (विजन डॉक्यूमेंट) पेश करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को यह भी बताने का निर्देश दिया कि ताजमहल के आसपास और ताज ट्रापेजियम जोन (टीटीजेड) के भीतर अनेक गतिविधियों की अचानक बाढ़ सी क्यों आ गई और चमड़ा उद्योग और होटल वहां क्यों आ रहे हैं?समाचार एजेंसी भाषा के हवाले से समय लाइव में छपी रिपोर्ट के मुताबिक टीटीजेड 10,400 वर्गकिमी का क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और इटावा जिले और राजस्थान के भरतपुर तक फैला है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि, ‘‘आप चार हफ्ते के भीतर दृष्टिपत्र पेश करें।’’

प्रदेश की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पीठ ने पूछा कि, ‘‘टीटीजेड में गतिविधियां अचानक बढ़ क्यों गई। क्या इसका कोई विशेष कारण है? चमड़ा उद्योग और होटल वहां क्यों आ रहे हैं?’’ मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस मु्द्दे पर वह निर्देश प्राप्त करके कोर्ट को सूचित करेंगे।

इस बीच, राज्य सरकार ने एक अन्य आवेदन देकर आगरा शहर में जल आपूर्ति की खातिर पाइपलाइन बिछाने के लिए 234 पेड़ों को काटने की अनुमति कोर्ट से मांगी। हालांकि, पीठ ने राज्य को यह बताने का निर्देश दिया कि टीटीजेड में कितने पौधों का रोपण किया जा चुका है।

कोर्ट इस मामले में अब चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल को सैकड़ों वर्ष के लिए संरक्षित करने की खातिर ‘अस्थायी’ उपाय पर्याप्त नहीं होंगे। कोर्ट पर्यावरणविद् और अधिवक्ता महेश चंद्र मेहता द्वारा ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए 1985 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

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