सुब्रमण्यम स्वामी ने आयकर विभाग के कथित ईमानदार अधिकारियों को रिटायर किए जाने पर उठाए सवाल, निर्मला सीतारमण का भी किया जिक्र

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार और पेशेवर कदाचार के कथित आरोप में आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को सेवा से जबरन रिटायर कर दिया है। खबर है कि वित्त मंत्रालय ने नियम 56 के अनुसार इन अधिकारियों को रिटायरमेंट लेने के लिए कहा था। इनमें आयुक्त और संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई को सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर आयकर विभाग के ईमानदार अधिकारियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। भाजपा सांसद ने कहा कि वे इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है कि वे आईटी कमिश्नर एसके श्रीवास्तव का केस अपने हाथ में ले रहे हैं।

उन्होंने लिखा है कि “एसके श्रीवास्तव के खिलाफ कोई ठोस मामला नहीं है और वित्त मंत्री सीतारमण ने पी चिदंबरम के कार्यकाल के झूठे केस पर यकीन कर लिया, शायद एनडीटीवी की मदद करने के लिए। पहले मैं प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखूंगा।” साथ ही उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि उनका अगला लक्ष्य प्रवर्तन निदेशालय होगा।

शायद स्वामी सोमवार को ही इस खबर के बारे में सतर्क हो गए थे, जब उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि वित्त मंत्रालय ने अचानक कुछ अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है। मुझे उम्मीद है कि एनडीटीवी धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करने वाले अधिकारी उनमें से नहीं हैं, क्योंकि इससे भाजपा के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान पीछे छूट जाएगा।

दरअसल, इस सूची में शामिल एक निलंबित संयुक्त आयुक्त के खिलाफ स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी की मदद करने के आरोपी एक व्यवसायी से जबरन वसूली तथा भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं। वहीं, सूत्रों ने बताया कि नोएडा में तैनात आयुक्त (अपील) के पद का कए आईआरएस अधिकारी भी हैं। उस पर आयुक्त स्तर की दो महिला आईआरएस अधिकारियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन 12 निलंबित अधिकारियों में अशोक अग्रवाल (ज्वाइंट कमिश्नर, इनकम टैक्स), एसके श्रीवास्तव (कमिश्नर), होमी राजवंश (आईआरएस) का नाम शामिल है। कई अखबारों में दावा किया गया है कि अशोक अग्रवाल पर भ्रष्टाचार को लेकर जांच चल रही थी और उन्हें 1999 से लेकर 2014 के बीच निलंबित भी किया गया था। वहीं एसके अग्रवाल पर दो महिला अधिकारियों के यौन शोषण का भी मामला चल रहा था।

पीटीआई के मुताबिक, एक अन्य अधिकारी जो भ्रष्टाचार और जबरन वसूली में लिप्त था और कई गलत आदेश पारित किए थे। इन आदेशों को बाद में अपीलीय प्राधिकरण ने पलट दिया था। उसे भी सेवा से बर्खास्त किया गया है। आयुक्त स्तर के एक अन्य अधिकारी पर मुखौटा कंपनी के मामले में एक व्यवसायी को राहत देने के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। इसके अलावा उसने पद का दुरुपयोग करके चल/अचल संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगा था। उसे भी जबरन सेवानिवृत्ति कर दिया गया है।

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