मेघालय हाई कोर्ट के जज एस आर सेन द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की अपील करने के बाद से सियासी खेमों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी एक हलचल ही पैदा हो गई है। उनके विवादास्पद फैसले के मुताबिक भारत को 1947 में हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए था। उनके इस टिप्पणी पर एक नया विवाद पैदा हो गया है।
न्यायाधीश एस आर सेन ने अपने फैसले में कहा, साल 1947 में भारत को आजादी मिली और यह दो देशों पाकिस्तान और भारत में बंट गया। पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित कर लिया और भारत का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ है तो इसे हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था, लेकिन यह एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा। साथ ही 61 वर्षीय न्यायाधीश ने आगे कहा, मुझे लगता है कि केवल नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ही इसकी गंभीरता को समझ सकती है और इसके लिए जरूरी कदम उठा सकती है।
उन्होंने साफ कहा कि किसी को भी भारत को इस्लामिक देश के रूप में बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, वरना यह भारत ही नहीं, दुनिया के लिए भी ‘कयामत का दिन’ होगा। उन्होंने कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि केवल नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ही इसकी गंभीरता को समझ सकती है और इसके लिए जरूरी कदम उठा सकती है।
सेन ने कहा कि इस तरह के कानून बनाए जाने चाहिए कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, खासी और गारो समुदाय के लोगों को भारत में रहने की अनुमति मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि इन देशों में रहने वाले उक्त समुदाय के लोगों का मूल भारत से ही है और इसलिए उन्हें यहां की नागरिकता देनी चाहिए।
सोशल मीडिया यूजर्स ने न्यायमूर्ति एसआर सेन के विवादास्पद फैसले पर गुस्सें में प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसकी आरएसएस के साहित्य से तुलना की। पत्रकार रवि नायर ने लिखा, मैंने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पर्याप्त निर्णय और आदेश पढ़े हैं। लेकिन, मेघालय हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति आरएस सेन का यह निर्णय आरएसएस के साहित्य की तरह पढ़ने में लगता है।
देखिए कुछ ऐसे ही ट्वीट
Was reading a 37 page judgement written by Meghalaya HC judge Justice SR Sen. In between, started to feel it is not judgement, but a RSS literature.
By the way, Justice sen reads the books authored by people like Tathagata Roy https://t.co/ZgjajJG4Ml— Ravi Nair (@t_d_h_nair) December 12, 2018
I wonder what the Chief Justice of the Meghalaya High Court, Justice Md Yakoob Mir from Kashmir, thinks of Justice SR Sen's pronouncements in favour of the Citizenship (Amendment) Bill?
— Samrat X (@MrSamratX) December 12, 2018
Hon'ble Justice Mr S R Sen Meghalaya High Court deserves impeachment on passing this kind of judgement it's horrible it's completely against the Constitution of India #SupremeCourt should take sue moto on it, @PMOIndia @narendramodi @rashtrapatibhvn should take it very seriously pic.twitter.com/JAIEcpulwz
— Ghulam Waris Adv. (@Adv_GhulamWaris) December 12, 2018
The question that the Justice Sen episode raises is not why he has such a view – many garden variety bigots have similar views which they express with greater passion and poorer spelling – but how did he get where he did. It shows institutional failures. https://t.co/xiFKYx3IWj
— Salil Tripathi (@saliltripathi) December 13, 2018