सबरीमाला विवाद पर स्मृति ईरानी बोलीं- ‘क्या आप खून से सना नैपकिन लेकर दोस्त के घर जाएंगे?’

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अक्टूबर) को कहा कि वह केरल के प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी उसके फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई करेगा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे नेदुम्पारा से कहा कि उसने याचिकाओं को 13 नवंबर को सूचीबद्ध करने के संबंध में पहले ही आदेश पारित कर दिया है।

file photo: Union HRD minister Smriti Irani

इस बीच सुप्रीम कोर्ट के केरल में सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने की अनुमति देने के आदेश के खिलाफ प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी घमासान के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को कहा कि मंदिर में पूजा करने का अधिकार सभी को है लेकिन अपवित्र करने का नहीं। उन्होंने कहा कि पूजा करने के अधिकार का यह मतलब नहीं है कि आपको अपवित्र करने का भी अधिकार प्राप्त है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, स्मृति ईरानी ने कहा, ‘‘मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बोलने वाली कोई नहीं हूं, क्योंकि मैं एक कैबिनेट मंत्री हूं। लेकिन यह साधारण-सी बात है क्या आप माहवारी के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे। आप ऐसा नहीं करेंगे।”

उन्होंने आगे कहा, ‘‘क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है। मुझे पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरूरत है।” हालांकि केंद्रीय मंत्री ने साफ किया कि यह सभी उनकी व्यक्तिगत राय है।

स्मृति ईरानी ने मुंबई में ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित “यंग थिंकर्स” कान्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने एक पारसी व्यक्ति से शादी की। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को मानें, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं।” आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को मंदिर में माहवारी आयु वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के अनुपात से दिए गए अपने फैसले में कहा था कि केरल के सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले का सभी ने स्वागत किया है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर में 10 से 50 साल की कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी। सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शनों के चलते महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दिया गया। चार महिलाओं समेत केरल की कार्यकर्ता रेहाना फातिमा ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की। लेकिन, विरोध की वजह से उन्हें लौटना पड़ा।

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