केंद्र की मोदी सरकार में पिछले दो साल में अगर किसी एक मंत्री की सब से ज़्यादा फजीहत हुई है तो वो है केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री, स्मृति ईरानी.
उनके हर छोटे और बड़े बयानों की सोशल मीडिया पर खिल्ली उड़ाई जाती है और उनकी शैक्षणिक योग्यता पर भी खूब चर्चा हुई है और ये मामला अब अदालत में विचाराधीन है ।
वाशिंगटन पोस्ट के एक लेख के अनुसार स्मृति ईरानी अपनी हाजिरजवाबी के चलते सुर्खियों में रहती हैं लेकिन शैक्षणिक योग्यता और शिक्षा के भगवाकरण के आरोपों के चलते आलोचनाएं भी झेलती हैं। स्मृति मोदी की सबसे पसंदीदा मंत्रियों में से एक हैं। वह देश के युवाओं को नौकरियों के तैयार करने में भी नाकाम रही हैं।
वाशिंगटन पोस्ट के हवाले से जनसत्ता ने आगे लिखा कि ईरानी देश की नई शिक्षा नीति पर काम कर रही हैं और ऐसा 30 साल में पहली बार हो रहा है। अमेरिकन अखबार के इस लेख में स्मृति ईरानी से जुड़े विवादों का जिक्र भी किया गया है। इसके अनुसार इतिहासकार रामचंद्र गुहा कहते हैं, ”वह शिक्षा मंत्री के रूप में बुरी तरह से फेल रही है। वह अक्खड़ और अज्ञान का मिश्रण है।
उन्होंने पहले से कमजोर हमारे विश्वविद्यालयों को नजरअंदाज किया। वह सरकार की एंटी इंटेलेक्चुअल थीम पर काम करते हुए विद्वानों और वैज्ञानिकों का अपमान कर रही हैं।” मोदी सरकार के मंत्रियों में स्मृति ईरानी का सबसे मजाक बनाया जाता है। विपक्ष उन्हें ‘ड्रामा क्वीन’ और ‘आंटी नेशनल’ बुलाता है।
पिछले दिनों की गवर्नर की गलत स्पैलिंग लिखने और बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से ‘डियर’ के मुद्दे पर भिड़ने के बाद स्मृति की काफी खिंचाई की गर्इ थी।