मोदी सरकार के इस फैसले के मुरीद हुए सिसोदिया, पत्र लिखकर की सराहना

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दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने स्कूलों में आठवीं कक्षा तक के छात्रों को फेल ना करने की नीति को खत्म करने के केंद्र के फैसले की गुरुवार(3 अगस्त) को सराहना करते हुए कहा कि इस नीति को खराब ढंग से लागू किया गया था। उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भेजे पत्र में कहा कि इस अहम सुधार को वापस लेते वक्त हमें देश में शिक्षा सुधारों को लेकर आत्मविश्लेषण करना चाहिए।सिसोदिया ने कहा कि फेल ना करने की नीति एक प्रगतिशील शिक्षा सुधार था और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें इसे वापस लेना पड़ा। ऐसा हमें इसलिए करना पड़ा क्योंकि इसे बहुत ही खराब ढंग से तथा बिना सोचे-विचारे लागू किया गया था। देश भर में स्कूलों का अकादमिक स्तर तेजी से गिरता जा रहा है, इस संकट को खत्म करने के आपात उपाय के तौर पर इस नीति को खत्म करने का फैसला लेना जरूरी था।

बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवीं कक्षा तक के छात्रों को फेल ना करने की नीति खत्म करने को बुधवार(2 जुलाई) को अपनी मंजूरी दी थी। इस फैसले के बाद अब 5वीं और 8वीं क्लास में फेल होने वाले छात्रों को एक और बार परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा, लेकिन ये छात्र अगर दोबारा भी परीक्षा में फेल हो गए तो उन्हें अगली कक्षा में दाखिला नहीं दिया जाएगा।

गौरतलब है कि अब तक नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत स्कूल आने वाले किसी बच्चे को फेल न करने का प्रावधान है। साथ ही प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक निकाला न जाए। इसे लेकर बाल निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार संशोधन विधेयक में एक प्रावधान बनाया जाएगा, जिससे राज्यों को साल के अंत में होने वाली परीक्षा में फेल होने पर छात्रों को पांचवीं और आठवीं कक्षा में रोकने की मंजूरी मिल जाएगी।

इसके साथ ही कैबिनेट ने देश में 20 विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान के निर्माण को भी मंजूरी दी थी। दरअसल, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मौजूदा प्रावधान के तहत छात्र परीक्षा में उत्तीर्ण हुए बिना भी आठवीं कक्षा तक बढ़ते जा सकते हैं। यह एक अप्रैल, 2011 को लागू हुए अधिनियम के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है।

 

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