क्यों देखनी चाहिये शिवाय
फिल्म देखते समय दिमाग घर पर छोड़ कर आना होगा। अगर कहानी के लिंक तलाश करेगें तो कुछ नहीं मिलेगा लेकिन अजय देवगन के एक्शन और धुंआधार मारपीट के साथ स्पेशल इफैक्ट वाले हिमालयन दृश्यों देखने हो तो शिवाय देख सकते है।
क्यों नहीं देखनी चाहिये शिवाय
स्क्रिप्ट पर पकड़ बेहद कमजोर है। पूरी फिल्म में केवल अजय देवगन ही हाइलाइट होते नजर आते है। कहानी इधर उधर घूमती रहती है। किरदारों पर फिल्म की पकड़ बेहद ढीली नज़र आती है। लम्बें-लम्बें बोर करने वाले दृश्य सिर्फ अजय देवगन को ही दिखाते रहते है।
संगीत के बारें में
शिवाय का संगीत पहले ही कुछ खास कमाल नहीं कर सका है लेकिन सारे गाने बेकार नहीं है। बोलो हर हर गाना लोगों को पसंद आया है। दरखास्त, रातें और तेरे नाल भी गानें बस ठीक-ठाक हैं।
फिल्म समीक्षकों ने शिवाय को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है जिसमें इंडिया टुडे के अनुसार अगर आप कुछ नहीं कर रहे तब शिवाय जाकर देख सकते है। वर्ना पर्वतारोहण पर एक अच्छी डाॅक्यूमेंट्री तो देखी ही जा सकती है। इसके अलावा बच्चों की तस्करी, बुल्गारिया या फिर जो आप चाहे कर सकते है। ये एक कहानी है जिसमें तम्बू के अंदर बहुत कुछ हो जाता है।
फिल्मफेयर के अनुसार शिवाय का एक्शन हमें बाहर की फिल्मों की झलक दिखाता है जिसमें खूब सारे एक्शन दृश्य है। ये एक बेहतर फिल्म बन सकती थी लेकिन नाटकीयता के चक्कर में फिल्म को कमजोर बना दिया गया है।
इंडियन एक्सपे्रस के अनुसार फिल्म बहुत अधिक द्वेष से भरी हुई है जिसमें नाटकीयता की जरूरत से ज्यादा ही अति कर दी गई है। लम्बे दृश्य बोर करते है जिन्हें काट दिया जाना चाहिए था।