किसान आंदोलन का वैश्विक हस्तियों के समर्थन करने के बाद आई सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया की बॉलीवुड कलाकारों और क्रिकेटरों के हिमायत करने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि केंद्र के “अड़ियल रवैये और अलोकतांत्रिक व्यवहार से” भारत की वैश्विक छवि को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती है।

भारत ने पॉप गायिका रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग जैसी वैश्विक हस्तियों द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बॉलीवुड के कई अभिनेताओं, किक्रेटरों और केंद्रीय मंत्रियों ने सरकार के रुख का समर्थन किया है।
थरूर ने ट्वीट किया, “भारत सरकार के लिए भारतीय शख्सियतों से पश्चिमी हस्तियों पर पलटवार कराना शर्मनाक है। भारत सरकार के अड़ियल और अलोकतांत्रितक बर्ताव से भारत की वैश्विक छवि को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई क्रिकेटरों के ट्वीट से नहीं हो सकती है।”
For GoI to get Indian celebrities to react to Western ones is embarrassing. The damage done to India's global image by GoI's obduracy &undemocratic behaviour can't be remedied by a cricketer's tweets. Withdraw the farm laws &discuss solutions w/farmers &you'll get #IndiaTogether.
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) February 3, 2021
पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और रवि शास्त्री ने ’इंडिया टूगेदर’ (भारत एकजुट है) और ’इंडिया अगेंस्ट प्रोपगेंडा’ (भारत दुष्प्रचार के खिलाफ है) हैशटैग के साथ ट्वीट किए हैं। इसके बाद थरूर ने यह टिप्पणी की है।
पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘कानून वापस लीजिए और समाधान पर किसानों के साथ चर्चा कीजिए तथा आप इंडिया टूगेदर पाएंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय गृह तथा वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कहा कि यह अच्छा है कि रिहाना और थनबर्ग विदेश मंत्रालय को जगा सकती हैं। उन्होंने ट्विटर पर कहा, “विदेश मंत्रालय, आपको कब एहसास होगा कि मानवाधिकार और आजीविका के मुद्दों से चिंतित लोग राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं पहचानते हैं? विदेश मंत्रालय ने म्यांमा में सैन्य तख्तापलट पर टिप्पणी क्यों की थी? इस पर विदेश मंत्रालय बेहद चिंतित क्यों था?”
उन्होंने पूछा कि विदेश मंत्रालय श्रीलंका और नेपाल के ’आंतरिक’ मामलों पर नियमित रूप से टिप्पणी क्यों करता है?पी चिंदबरम ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, “ट्रम्प समर्थकों द्वारा वाशिंगटन में कैपिटल भवन (संसद भवन) पर हमले पर भारत के पीएम ने टिप्पणी क्यों की? यह दुखद है कि श्री एस जयशंकर जैसे पुराने और चतुर व्यक्ति ने विदेश मंत्रालय के बचकाना हरकत की अनुमति कैसे दिया होगा? म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर विदेश मंत्रालय ने क्यों टिप्पणी की? यह विदेश मंत्रालय के लिए “गहराई से संबंधित” क्यों है? विदेश मंत्रालय नियमित रूप से उन मुद्दों पर टिप्पणी क्यों करता है जो श्रीलंका और नेपाल के लिए “आंतरिक” हैं?”
एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस नेता ने लिखा, “यह अच्छा है कि रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग विदेश मंत्रालय को जगा सकती हैं। विदेश मंत्रालय कब महसूस करेगी की, मानव अधिकारों और आजीविका के मुद्दों को उठाने वाले लोग राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं पहचानते हैं?”
ट्रम्प समर्थकों द्वारा वाशिंगटन में कैपिटल भवन पर हमले पर भारत के पीएम ने टिप्पणी क्यों की?
यह दुखद है कि श्री एस जयशंकर जैसे पुराने और चतुर व्यक्ति ने विदेश मंत्रालय के बचकाना हरकत की अनुमति कैसे दिया होगा?— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 4, 2021
बता दें कि, किसान आंदोलन के समर्थन में रिहाना और अन्य इंटरनेशनल सेलेब्रिटीज के बयान आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था, किसानों का मामला भारत का आंतरिक मसला है। ऐसे ही किसी भी बाहरी व्यक्ति या संस्था को इसपर बयानबाजी करने से बचना चाहिए। (इंपुट: भाषा के साथ)