गुजरात में और दोसरे भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर बढ़ रहे अत्याचार का अब भाजपा को ज़बरदस्त खामियाज़ा भुगतना पद रहा है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब में असेंबली चुनाव को अब सिर्फ चाँद महीने ही बच्चे हैं और ऐसे में पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के राज्य प्रभारी, दीप चंद राम ने रविवार को पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
जनसत्ता की खबर को माने तो राम ने सभी पदों से इस्तीफा देना का फैसला गुजरात में होने वाले दलितों की खुलेआम पिटाई के विरोध में दिया है।
उन्होंने ने कहा कि दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती की तुलना वेश्या से करना भी उनके इस्तीफे की एक वजह रही है। राम ने कहा कि हाल की इन दो घटनाओं के बाद उन्हें भाजपा में घुटन सी हो रही थी।
एक दलित नेता के तौर पर राम भाजपा की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य थे।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस संबंध में पत्र लिखा था। राम ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब भाजपा दयाशंकर और गुजरात में दलितों पर अत्याचार को लेकर संसद से लेकर सड़क तक घिरी हुई है।
भाजपा के एससी मोर्चा के उपाध्यक्ष, गौतम चौधरी ने दावा किया कि राम ने निजी मकसद से भाजपा ज्वाइन की थी। उन्होंने कहा, ”उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में टिकट की मांग की थी, मगर नहीं मिला। वह 2017 के विधानसभा चुनावों में भी टिकट के लिए लगे हुए थे। जब उन्हें लगा कि उनको टिकट नहीं मिलेा तो उन्होंने ऐसे कारण बताते हुए पार्टी छोड़ दी। राम बसपा छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे, वह फिर बसपा में जा सकते हैं।
गौरतलब है कि गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश में दलितों की एक बड़ी आबादी है और किसी भी चुनाव में इनका वोट अहम् किरदार निभाता है। ऐसे में राम जैसे दिग्गज नेता का पार्टी से इस्तीफा देना भाजपा को बहुत महंगा पड़ सकता है।