पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सीमा आधारित मुद्दों को लेकर हुए एक सम्मेलन में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक (डीजी) केके शर्मा के शामिल होने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इस पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आपत्ति जताई है। टीएमसी ने इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष ले जाने की धमकी है।
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक रविवार (11 फरवरी) को दो दिवसीय सम्मेलन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सहयोगी दल सीमांत चेतना मंच ने आयोजित कराया था। इस मौके पर बीएसएफ के महानिदेशक कथित तौर पर वर्दी पहनकर सम्मेलन में शामिल हुए थे।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने आरएसएस के कार्यक्रम में वर्दी में डीजी के शामिल होने को लेकर जोरदार आपत्ति जताई है। साथ ही ब्रायन ने इस मुद्दे को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष ले जाने की धमकी दी है। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा- ”बीएसएफ के डीजी केके शर्मा आरएसएस समर्थित एनजीओ के समारोह में कोलकाता में वर्दी में क्या कर रहे हैं?” उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को वह गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे।
#BREAKING What is a serving BSF DG, KK Sharma,doing in uniform at "RSS-backed NGO's function in Kolkata"?We will take issue to HomeMinister pic.twitter.com/wE3CrZP3bu
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) February 11, 2018
जनसत्ता के मुताबिक, बीएसएफ के डीजी शर्मा दो दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन वहां पहुंचे थे, जिसमें असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल से 300 प्रतिनिधि आए थे। एनजीओ के बंगाल के आयोजन सचिव जगन्नाथ सेनापति ने कहा कि, ”बीएसएफ के डीजी कार्यक्रम में शामिल हुए और करीब एक घंटे तक सीमा के मुद्दों पर बोले। इसमें गलत क्या है?
उन्होंने कहा कि हम एक गैर-सरकारी संस्था है, न कि एक राजनीतिक पार्टी। हमने हमेशा देश और सीमा के लिए काम किया है और सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए काम किया है। यह बीएसएफ का कर्तव्य है कि सीमा विकास के लिए काम कर रहे संगठनों के साथ मेल जोल रखे।”
BSF ने दी सफाई
रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच बीएसएफ मुख्यालय की तरफ से इस मामले में सफाई देते हुए कहा गया है कि यह कार्यक्रम सीमा प्रबंधन अभ्यास पर आधारित बातचीत के लिए था। बीएसएफ की तरफ से किए गए प्रस्तुतिकरण में सीमा प्रबंधन को लेकर उसकी भूमिका और काम की जिम्मेदारी को दर्शाया गया। इसमें सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों के लिए बीएसएफ की तरफ से किए जाने वाले सामाजिक कार्यों की चुनौतियों के बारे में बताया गया।
बीएसएफ की तरफ से कहा गया कि सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की सहभागिता के बिना सीमा प्रबंधन नहीं किया जा सकता है। बयान में आगे कहा गया कि सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोग बीएसएफ के आंख और कान है, जिससे कई तरह की चुनौतियों और सीमा प्रबंधन से बचा जा सकता। बयान में कहा गया कि लोगों को यह जताने के लिए अभ्यास किया गया कि बीएसएफ उनकी मददगार है।