रेस्तरां मालिकों के संगठन नैशनल रेस्तरां असोसिएशन अॉफ इंडिया (एनआरएआई) ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के ताज़ा फ़ैसले पर सवाल उठाया है। कल ही, अपने फैसले में विभाग ने होटलों और रेस्तरां में सर्विस चार्ज की बाध्यता ख़त्म की दी थी।
रेस्तरां मालिकों के अनुसार, सर्विस चार्ज का ज्यादातर हिस्सा कर्मचारियों में बांट दिया जाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभाग का फैसला कई स्तर पर अधूरा है।
अंग्रेजी अखबार दि टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत में नैशनल रेस्तरां असोसिएशन अॉफ इंडिया (एनआरएआई) के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने बताया किरेस्तरां के मेन्यू में साफ लिखा होता है कि कितना सर्विस चार्ज लगाया जाएगा। हम कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्विस चार्ज की रकम कर्मचारियों में ही बांट दी जाती है।
अलमानी के मुताबिक सर्विस चार्ज हटाने की जगह कई रेस्तरां उपभोक्ताओं से पूछ सकते हैं कि क्या वे सर्विस चार्ज चुकाना चाहते हैं और अगर नहीं तो वह एेसी जगह खाना खाएं जहां सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता हो।
सोमवार को अपने फैसले में केन्द्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि होटल और रेस्तराओं में इस बारे में सूचना पट के जरिये स्पष्ट तौर पर सूचना दी गई हो। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा है, ‘इस बारे में ग्राहकों से कई शिकायतें मिलीं हैं कि होटल और रेस्तरां ‘टिप’ के बदले 5 से 20 प्रतिशत के दायरे में सेवा शुल्क ले रहे हैं। इन होटल एवं रेस्तरांओं में सेवा चाहे कैसी भी हो ग्राहकों को इसका भुगतान करना पड़ता है।