सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और उपराज्यपाल के खिलाफ चल रहे मुक़दमें में दिल्ली सरकार की नुमाईंदगी करने वाले वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अचानक वकालत से संन्यास लेने का फैसला कर लिया है। इस बात का ऐलान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा को लिखे पत्र में किया है।
मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि उस मामले की आखिरी सुनवाई में उन की बेइज़्ज़ती की गयी थी। बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में कथित तौर पर घवन के ऊंची आवाज में बात करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने नाराजगी जाहिर की थी।
राजीव धवन ने सोमवार (11 दिसंबर) को नाराजगी भरे अंदाज में मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर वकालत छोड़ने का ऐलान कर दिया। मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच मुक़दमे की सुनवाई के दौरान मैंने अपमानित महसूस किया, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में वकालत छोड़ने का फैसला लिया है।
धवन ने पत्र में यह भी लिखा है कि वो आगे से सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के तौर पर कभी पेश नहीं होंगे। पत्र उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को संबोधित करते हुए लिखा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकीलों के कोर्ट मे ऊंची आवाज मे बहस करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उसके एक दिन पहले दिल्ली और केंद्र के बीच मुकदमे की सुनवाई मे राजीव धवन की कुछ दलीलों के तरीक़े पर कोर्ट सहमत नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि ऊंची आवाज में बहस करना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते है कि वो ऊंची आवाज में बहस कर सकते है जबकि वो ये नहीं जानते इस तरह बहस करना ये बताता है कि वो वरिष्ठ वकील होने के लिए सक्षम नहीं है।
दरअसल, 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई हुई थी। इस दौरान वहां वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे सहित अनेक वरिष्ठ वकील मौजूद थे। ये वकील केस की सुनवाई जुलाई 2019 तक टालने का अनुरोध करते हुए ऊंची आवाज में दलीलें पेश कर रहे थें। राजीव धवन ने तो वॉकआउट तक की धमकी दे डाली थी।
इसके बाद दिल्ली बनाम केंद्र सरकार केस की सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस से राजीव धवन की तीखी बहस हुई। धवन का कहना है कि इस केस की सुनवाई के दौरान उन्हें अपमानित किया गया। जिससे आहम कर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की प्रैक्टिस छोड़ने का ऐलान कर दिया है।