इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट के जज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई, 13 फरवरी को पेश होने के दिए निर्देश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में बुधवार(8 फरवरी) को पहली बार सात जजों की बेंच ने कोलकाता हाईकोर्ट के वर्तमान जज सीएस करनन के खिलाफ अदालत की अवमानना के एक मामले में सुनवाई की। इस मामले में शीर्ष अदालत ने करनन को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 13 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए है।

सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कोलकाता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को आदेश दिया है कि वे करनन को कोई न्यायिक और प्रशासनिक कार्य ना सौंपे। साथ में जस्टिस करनन को कोलकाता हाईकोर्ट की सारी फाइलें और दस्तावेज वापस करने के आदेश भी दिए गए हैं।

दरअसल, जस्टिस करनन ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी। जिसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस जेएस खेहर ने मंगलवार(7 फरवरी) को एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए इसे कोर्ट का अवमानना मानकर स्वत: सुनवाई करने का फैसला किया।

पहले भी विवादों में रहे हैं करनन

करनन का विवादों से पूराना नाता है, ये वही जज है जिन्होंने साल 2015 में मद्रास हाईकोर्ट को तब मुश्किल में डाल दिया था जब उन्होंने चीफ जस्टिस संजय के कौल के खिलाफ अवमानना का केस करने की धमकी दी थी। कौल को कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने का प्रस्ताव दिया है। करनन ने कौल पर काम न करने का आरोप लगाया था और दूसरे जज की शैक्षिक योग्यता पर सवाल खड़े किए थे।

विवादों में घिरे जज ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें जाति की वजह से भेदभाव का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस उन्हें दलित की वजह से प्रताड़ित कर रहे हैं। इसी क्रम में जब उनका ट्रांसफर हुआ तो करनन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ‘स्टे’ दे दिया। उन्होंने चीफ जस्टिस को सुझाव दिया कि वह उनके ‘न्यायिक क्षेत्र’ में दखल न दें। हालांकि, बाद में अपना रुख नरम करते हुए उन्होंने अपना ट्रांसफर स्वीकार कर लिया था।

 

 

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