जयललिता का निधन दोपहर में 2 बजे ही हो गया था लेकिन इस जानकारी को उनकी ही सबसे करीबी शशिकला ने नई सरकार के बनने तक छिपाए रखा था।
जयललिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में उनकी खास सहयोगी शशिकला ने निभाईं। समर्थकों से घिरा जयललिता का पार्थिव शरीर जब मरीना बीच पहुंचा, तब तक काली साड़ी पहने शशिकला की राजनैतिक पकड़ बेहद मजबूत हो चुकी थी। 59 साल की शशिकला जयललिता के साथ उनके 50 करोड़ के बंगले में रहीं, मगर उनके पास एआईएडीएमके में कोई आधिकारिक पद नहीं है। लेकिन पार्टी अध्यक्ष तक चौबीसों घंटे संपर्क करने की इजाजत सिर्फ उन्हें के पास थी। यहां तक कि जया के अंतिम क्षणों में भी शशिकला
उनके साथ दी। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कैसे नटराजन ने पार्टी को नया नेतृत्व दिया, ऐसा नेतृत्व जिन्हें उनका समर्थन है। रविवार शाम 7.30 बजे जयललिता को ऐसा दिल का दौरा पड़ा कि वह उबर नहीं सकीं। करीब तीन घंटे बाद, सभी विधायकों और मंत्रियों को बताया गया कि जयललिता ‘किसी छोटी प्रक्रिया’ से गुजर रही हैं।सोमवार सुबह 4 बजे, उन्हें बताया गया कि जयललिता को सर्जरी के बाद आईसीयू में ले जाया जा रहा है। लेकिन खासतौर से लगाई गई स्क्रीन्स ने अंदर क्या चल रहा था, यह छिपा रखा था।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, जयललिता के निकट जाने की इजाजत सिर्फ नटराजन और पूर्व नौकरशाह व विश्वसनीय सलाहकार शीला बालकृष्णन जैसों को ही जाने की इजाजत थी।विधायकों को बाद में पता चला कि पूरी रात चली प्रक्रिया दरअसल ईसीएमओ (एक्स्ट्राकॉर्पिरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन) डिवाइस को इंस्टॉल करने के लिए थी, जो दिल और फेफड़ों का काम करती है। अगली सुबह, अपोलो हॉस्पिटल के बेसमेंट में सभी विधायकों और मंत्रियों को एक बैठक के लिए बुलाया गया। इसी अस्पताल में जयललिता को करीब 70 दिन पहले भर्ती कराया गया था।
कथित तौर पर नटराजन ने उन सभी को तीन सादे ए-4 पेपर पर हस्ताक्षर करने का आदेश दिए, जिनपर उनके नाम के सिवा कुछ नहीं था। सभी ने अपने नाम के आगे हस्ताक्षर किए। इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि हस्ताक्षरों का प्रयोग किस तरह किया जाएगा। सभी से एक रजिस्टर पर भी हस्ताक्षर कराए गए जिससे साबित होता कि पार्टी की बैठक हुई थी।
दोपहर 2 बजे खबर आई कि मुख्यमंत्री नहीं रहीं। कई विधायक रो पड़े। इसके बाद उन्हें पार्टी ऑफिस में शाम 6 बजे मिलने को कहा गया। जहां वे वहां पहुंचे तो पांच सबसे सीनियर मंत्री, जिनमें पन्नीरसेल्वम भी शामिल थे, गायब थे। जिन लोगाें ने पार्टी की बैठक अटेंड की, उनका मानना है कि इसी दौरान नटराजन ने एआईएडीएमके के पांच हेवीवेट्स के बीच सत्ता के हस्तांतरण की मध्यस्थता की।
रात करीब 11 बजे पांचों मंत्री कार्यालय पहुंचे। पार्टी चेयरमैन, मधुसुधानन को सिर्फ एक लाइप का पत्र सौंपा गया- जिसमें कहा गया कि ओ पन्नीरसेल्वम अगले मुख्यमंत्री होंगे। सभी मंत्रियों को बसों में बिठाकर राजभवन या गवर्नर के आवास पर ले जाया गया, जो कि नई सरकार के शपथ लेने के लिए पूरी तरह तैयार था। इसके करीब 30 मिनट बाद रात 12.40 बजे जयललिता को मृत घोषित किया गया।