संजय राउत बोले- कुंभ मेले से लौटने वाले लोग फैला सकते हैं कोरोना वायरस के संक्रमण, पैदा होगा खतरा

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शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मंगलवार को यह आशंका व्यक्त की है कि हरिद्वार के कुंभ मेले से लौटने वाले लोग कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के संभावित वाहक बन जाएंगे, जिससे खतरा पैदा होगा। राउत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब लाखों की संख्या में भक्तों ने हरिद्वार में गंगा नदी के विभिन्न घाटों पर पवित्र डुबकी लगाई।

संजय राउत
फाइल फोटो

समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, राउत ने कहा, ‘‘त्योहारों और धार्मिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाना शिवसेना के लिए पीड़ादायक है, लेकिन पार्टी में लोगों के जीवन को बचाने के लिए ऐसा करने का साहस है। हमारी प्राथमिकता अधिक से अधिक लोगों की जान बचाना है। मेरा मानना ​​है कि कुंभ मेला से आने वाले लोग कोरोना वायरस के संक्रमण को और अधिक फैला सकते हैं, जिससे तबाही होगी।’’

इससे पहले, दिन में पत्रकारों से बात करते हुए मुंबई के प्रभारी मंत्री और कांग्रेस नेता असलम शेख ने कहा था कि राज्य सरकार को कुंभ मेले से लौटने वाले लोगों को लेकर दिशा-निर्देश तय करने होंगे, क्योंकि समारोह के दौरान कोविड -19 के उचित व्यवहार का पालन नहीं किया गया।

कोविड-19 मामलों और इससे हुई मौतों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र देश में सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सोमवार तक राज्य में कोविड-19 के कुल 34,58,996 मामले आ चुके हैं, जबकि 58,245 मौतें हो चुकी हैं।

गौरतलब है कि, कोरोना वायरस के नए मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के बीच हरिद्वार में महाकुंभ मेला चल रहा है। गंगा में स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। इस दौरान कोविड नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। जिसकी तस्वीरें व वीडियो खूब वायरल हो रही हैं। कुंभ मेले को लेकर काफी आलोचना भी हो रही है और इसी बीच राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कुंभ की तुलना दिल्ली के मरक़ज़ से नहीं की जा सकती और गंगा मां के आशीर्वाद से यहां कोरोना नहीं फैलेगा।

तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कुंभ में मां गंगा की कृपा से कोरोना नहीं फैलेगा। रावत ने कहा कि कुम्भ और मरकज की तुलना करना ठीक नहीं है। वहां मरकज में लोग एक ही हॉल में सोते थे। जबकि कुंभ केवल हरिद्वार तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला क्षेत्र ऋषिकेश से लेकर नीलकंठ क्षेत्र तक फैला है। स्नान के लिए 16 घाट हैं। अलग-अलग समय पर श्रद्धालु व साधु संत समाज के लोग स्नान कर रहे हैं। मरकज में एक ही हाल में कई कई लोग रहे। एक ही रजाई का अधिक लोगों ने इस्तेमाल किया। कुंभ की व्यवस्थाएं अलग हैं, इसलिए कुंभ की तुलना मरकज से करना सही नहीं है।

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