मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को भरोसा जताया कि उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार सुरक्षित है और ‘मध्य प्रदेश वायरस’ पश्चिमी राज्य में प्रवेश नहीं करेगा। बता दें कि, शिवसेना महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार चला रही है।

वहीं, पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के कगार पर है क्योंकि राज्य में कांग्रेस के 22 विधायकों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। मध्य प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम के बीच राउत ने कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के लिए चिंता की कोई बात नहीं है।
शिवसेना नेता ने मराठी में ट्वीट किया, ‘‘मध्य प्रदेश वायरस महाराष्ट्र में नहीं घुसेगा। महाराष्ट्र की सत्ता अलग है। 100 दिन पहले एक अभियान विफल हो गया था। महा विकास अघाड़ी ने बाईपास सर्जरी की और महाराष्ट्र को बचाया।’’
वहीं, समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए संजय राउत ने कहा कि, “मध्य प्रदेश में जो सियासी आपातकाल है उसके लिए मैं भाजपा को ज़िम्मेदार नहीं मानता। कांग्रेस टूट गई है। कांग्रेस पार्टी में बगावत है, असंतोष है। ये कांग्रेस की मिस हैंडलिंग है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को महत्व दिया जाना चाहिए था।”
महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश जैसे हालात पैदा होने के सवाल पर संजय राउत ने कहा कि, “भाजपा ने कोशिश तो की थी यहां सरकार बनाने की, ऑपरेशन उसके ऊपर ही उल्टा पड़ गया, यहां ऑपरेशन नहीं चलेगा। यहां बहुत हमारे जैसे सर्जन बैठे हैं ऑपरेशन करने के लिए, जो ऑपरेशन करने आएगा उसका ऑपरेशन कर देंगे।”
महाराष्ट्र में मध्यप्रदेश जैसे हालात पैदा होने के सवाल पर संजय राउत:
बीजेपी ने कोशिश तो की थी यहां सरकार बनाने की, ऑपरेशन उसके ऊपर ही उल्टा पड़ गया, यहां ऑपरेशन नहीं चलेगा। यहां बहुत हमारे जैसे सर्जन बैठे हैं ऑपरेशन करने के लिए, जो ऑपरेशन करने आएगा उसका ऑपरेशन कर देंगे। pic.twitter.com/I4BfLKBIEA— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 11, 2020
बता दें कि कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों को भोपाल से बाहर ले जाने की तैयारी में जुट गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही अपने 100 विधायकों को राज्य की राजधानी से बाहर ले जा चुकी है, वहीं खबर है कि कांग्रेस अब अपने बचे विधायकों को जयपुर भेज सकती है। दोनों ही पार्टियों के समक्ष अपने-अपने विधायकों को बचाने की चुनौती है।
कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर भाजपा की नजर कांग्रेस के अन्य विधायकों पर है। कांग्रेस पर संकट और ना बढ़े इसलिए पार्टी के 90 और चार निर्दलीय विधायकों को बाहर भेजा जा रहा है। (इंपुट: भाषा के साथ)