विवादित डायरी मामले में सहारा इंडिया पर किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई करने और उस पर जुर्माना लगाने से आय कर निपटान आयोग ने इनकार किया है। इससे सहारा के लिए ये बड़ी राहत का फैसला है।
आयोग ने इस डायरी को सबूत मानने से भी इनकार कर दिया है। आयोग ने अपना फैसला 50 पन्नों में सुनाया है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, आयोग ने सहारा इंडिया द्वारा दाखिल केस को पहले खारिज कर दिया था लेकिन 5 सितंबर, 2016 को उसे फिर से सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।
आयोग ने कार्रवाई को तेज करते हुए महज तीन सुनवाई में ही अपना फैसला सुनाते हुए सहारा इंडिया को राहत दी है। आयोग ने राहत का आदेश 10 नवंबर 2016 को सुनाया है जो आखिरी सुनवाई की तारीख 7 नवंबर 2016 से तीन दिन बाद है। वैसे सामान्यत: आयोग 18 महीनों में किसी मुद्दे पर अंतिम फैसला सुनाता है। आयोग के सूत्र बताते हैं कि कभी -कभार ही 10 से 12 महीनों के अंदर कोई फैसला सुनाया जाता है।
फैसले में कहा गया है कि सहारा इंडिया ने आयोग से गुहार लगाई है कि इस वक्त कंपनी कछिन दौर से गुजर रही है इसलिए कर अदायगी को किश्तों में कर दिया जाए। इसके अलावा फैसले के पहले पेज में आयोग ने लिखा है, आवेदक की दलील है कि कुछ असंतुष्ट कर्मचारियों ने जानबूझकर इस तरह के बेमतलब के कागजात बनाए हैं।
फैसले के आखिरी पन्ने में लिखा गया है कि छापे के दौरान कंपनी से 137.58 करोड़ रुपये बरामद हुए थे जिस पर अब टैक्स आरोपित किया जाता है। आयोग ने इस टैक्स की राशि अदायगी को भी 12 किश्तों में कर दिया है।
गौरतलब है कि 2013 और 2014 में बिड़ला और सहारा इंडिया के दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। इन छापों में आयकर विभाग ने विवादित डायरी समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए। यह मामला तब गर्माया जब वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से इन फाइलों की जांच की मांग की।