दिल्ली के एक अस्पताल से कथित तौर पर बच्चा गायब होने का अजीब मामला सामने आया है। पीड़ित दम्पति का आरोप है कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में गर्भ में जुड़वा बच्चे की रिपोर्ट थी लेकिन डिलीवरी पर एक ही बच्चा देने का आरोप अस्पताल प्रशासन पर लगाया गया है।
पीड़ित दम्पति का आरोप है कि अस्पताल कर्मियों ने यह कहकर मामला टाल दिया कि दूसरा बच्चा कचरे में चला गया होगा। एक सप्ताह बाद भी पुलिस ने मामले में कार्रवाई करना तो दूर गंभीरता से जांच भी नहीं की है।
जागरण की खबर के अनुसार, आरके पुरम सेक्टर-12 में रहने वाले ओडिशा निवासी विकास ने आशा पॉलीक्लीनिक एंड डॉयग्नोस्टिक सेंटर में 24 नवंबर को अपनी पत्नी हेमलता का अल्ट्रासाउंड कराया था, जिसमें जुड़वा बच्चे की रिपोर्ट दी गई थी। 21 दिसंबर को हेमलता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया था। उनका कहना है कि हेमलता को रात करीब दो बजे जुड़वा बच्चे हुए थे, लेकिन नर्स ने पत्नी को एक ही बच्चा दिया।
हेमलता का कहना है कि उन्हें याद है कि डिलीवरी के बाद नर्स ने एक बच्चे को उनकी छाती पर लिटा दिया था और दूसरे को लेकर चली गई थी। दो घंटे के बाद नर्स ने बताया कि एक ही बच्चा हुआ है। विकास ने जब नर्स व अन्य कर्मियों से बात की तो उन्होंने कहा कि बच्चा कचरे में चला गया होगा।
हेमलता ने आरके पुरम थाने में 27 दिसंबर को लिखित शिकायत दी, लेकिन पुलिस से भी कोई मदद नहीं मिली। मामला तक दर्ज नहीं किया गया। इसकी जानकारी जब गैरसरकारी संस्था एलायंस फॉर पीपल राइट की संरक्षक रीना बनर्जी तक पहुंची तो उन्होंने आवाज उठाई, जिसके बाद पुलिस कुछ हरकत में आई।
जबकि इस मामले में एके राय, चिकित्सा अधीक्षक, सफदरजंग अस्पताल ने बताया कि एचओडी से बात की गई है और ग्रिवांस सेल को जांच के निर्देश दिए गए हैं। यह जांच भी की जाएगी कि महिला ने डिलीवरी के बाद ही शिकायत क्यों नहीं की और अल्ट्रासाउंड अस्पताल के बाहर क्यों कराया गया।