दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने भारत में द्विपक्षीय सीरीज में डीआरएस (अंपायर के फैसले की समीक्षा प्रणाली) लागू करने को ‘सकारात्मक कदम’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि बीसीसीआई अगर संशोधित समीक्षा प्रणाली से संतुष्ट हैं, तो वह इसे स्थायी तौर पर अपना सकता है। इसके साथ ही उन्हेंने विश्वभर में मानकीकृत प्रौद्योगिकी अपनाने की भी अपील की।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड लंबे समय तक निर्णय समीक्षा प्रणाली यानी डीआरएस का विरोध करता रहा, लेकिन वह इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान टेस्ट सीरीज में ट्रायल के तौर पर इसका उपयोग करने के लिए सहमत हो गया।
तेंदुलकर से पूछा गया कि क्या बीसीसीआई को स्थायी आधार पर डीआरएस को अपनाना चाहिए, उन्होंने कहा, ‘यदि बीसीसीआई ने इसका अच्छी तरह से अध्ययन किया और वे इससे (डीआरएस में संशोधन) आश्वस्त हैं, तो फिर क्यों नहीं। मुझे लगता है कि यह सकारात्मक कदम है।
भाषा की खबर के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘विश्व में हर जगह एक जैसी प्रौद्योगिकी होनी चाहिए क्योंकि मैंने पाया कि दुनिया के किसी हिस्से में स्निकोमीटर तो अन्य हिस्से में हॉटस्पाट का उपयोग किया जाता है।‘ तेंदुलकर ने कहा, ‘इसमें एकरूपता नहीं थी। जब आप टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं, तो कुछ चीजें जो दुनिया में हर जगह एक जैसी होनी चाहिए और जब डीआरएस इसका हिस्सा बन गया है, क्रिकेट से जुड़ गया है तो फिर यह विश्वभर में हर जगह एक जैसा होना चाहिए।‘
उन्होंने कहा, ‘इसलिए आप जिस मैच में भी खेल रहे हों किसी को यह सवाल करने का मौका नहीं मिलना चाहिए कि क्या होने जा रहा है, क्या स्निकोमीटर उपलब्ध है या हॉटस्पाट उपलब्ध है या नहीं. इसका मानकीकरण होना चाहिए।
गौरतलब है कि भारत ने 2008 श्रीलंका के खिलाफ पहली बार टेस्ट सीरीज में डीआरएस का इस्तेमाल किया था। ये सीरीज श्रीलंका में खेली गई थी। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के दौरान भारत ने 20 बार डीआरएस का इस्तेमाल किया था लेकिन एक बार ही उसे सफलता मिली थी। जबकि डीआरएस में कई बदलाव करके इसे पहले से बेहतर बनाया गया है। इन बदलावों के बाद बीसीसीआई डीआरएस के लिए राजी हुआ है।