रिजर्व बैंक द्वारा RTI के जवाब ने उठाया नोटबंदी के फैसले पर बड़ा सवाल

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रिजर्व बैंक ने एक RTI के जवाब में पीएम मोदी की नोटबंदी की घोषणा को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। जिससे नोटबंदी की तैयारियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए है। ब्लूमबर्ग द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि नोटबंदी के फैसले की मंजूरी इसने 8 नवंबर को पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश से सिर्फ ढाई घंटे पहले दी थी।

ये जानकारी इस बात का खंडन करती है जिसमें 7 दिसंबर को रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल द्वारा ये दावा किया गया था कि नोटों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया गया था।

ब्याजदरों की स्थिति को पहले जैसा बनाए रखने पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि ये निर्णय जल्दबाजी में नहीं बल्कि लम्बें विचार-विर्मश के बाद लिया गया है। ये उच्चस्तरीय फैसला था जो बेहद गोपनीय तरीके से बनाया गया था।

जबकि केंन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 16 नवंबर को राज्य सभा में बोलते हुए कहा था कि नोटों पर प्रतिबंध के फैसले का श्रेय रिजर्व बैंक के उर्जित पटेल और उनकी दस सदस्यीय समिती को जाता है।

इस बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि इस पर विश्वास करना मुश्किल है कि 500 और 1000 रूपये के नोटों का बंद करने का फैसला राजनीति से प्रेरित नहीं था।

क्योंकि बेहद तेजी के साथ 86 प्रतिशत भारतीय मुद्रा को बाजार से हटा देने वाली रिजर्व बैंक की सिफारिश को केवल ढाई घंटे में लागू करने की घोषणा आखिर प्रधानमंत्री किस प्रकार से कर सकते है?

यहां विशेषज्ञों द्वारा ये भी माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन इस संस्था की स्वायत्तता के पैरोकार थे। रघुराम राजन के चलते केन्द्र इसमें हस्तक्षेप नहीं कर पा रहा था इसलिए नए गर्वनर के रूप में उर्जित पटेल की नियुक्ति को सरकार द्वारा थोपा गया। बड़ी वित्तीय नीतियों के हेरफेर को आसानी से अमल में लाने के लिए ये बदलाव किए गए।

नोटबंदी के बाद से करोड़ो की आबादी व्यापक रूप से प्रभावित हुई है। इसके बाद से आई परेशानियों के कारण 100 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके है। लाखों लोगों को उनकी मेहनत की कमाई को निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दुनिया की कई सारी एजेंसीज ने माना कि इससे भारत के विकास की ग्रोथ व्यापक रूप से प्रभावित होगी। जैसे वाॅल स्ट्रीट जर्नल, फोर्ब्स व विदेशी मीडिया ने सरकार के नोटबंदी फैसले की निंदा की है।

वित्तीय संकट से उबरने के लिए पीएम मोदी ने 50 दिनों का आश्वासन दिया था कि हालात सामान्य हो जाएगें। जबकि नोटों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है जिसके कारण वित्तीय संकट जारी रहने की संभावना बनी रहेगी।

 

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