रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जब से इस बात की घोषणा की गई है कि पिछले साल 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद बैन हुए 500 और 1000 रूपये के 99 फीसदी नोट लौट आए है। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में घमासान मचा हुआ है। इस बीच आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बड़ा दिया है।
FILE PHOTO: PTIचंद्रबाबू नायडू ने शनिवार(2 सितंबर) को कहा कि व्यवस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहिए। लेकिन 2000 रुपये के नोट की क्या जरूरत है? उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि 500 रुपये के नोट की भी जरूरत नहीं है। 100 और 200 रुपये के नोट काफी हैं। नायडू ने कहा कि सभी देन-देन ऑनलाइन होने चाहिए।
Rs 100, 200 notes are enough. All transactions should be made online: Andhra Pradesh Chief Minister Chandrababu Naidu
— ANI (@ANI) September 2, 2017
दरअसल, RBI ने पिछले साल 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद बैंकों में लौटे पांच सौ और हजार के पुराने नोटों का बुधवार(30 अगस्त) को पहली बार आंकड़ा जारी किया। आरबीआई ने बताया कि पुराने नोटों में 99 फीसदी बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं। इस रिपोर्ट में नोटबंदी के बाद मार्च 2017 तक की स्थिति की जानकारी दी गई है।
रिजर्व बैंक ने वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि प्रतिबंधित मुद्रा में से 15.28 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए और मात्र 16,050 करोड़ ही उसके पास नहीं लौट सकी है। नोटबंदी से पहले 500 रुपये के 1,716.5 करोड़ और 1,000 रुपये के 685.8 करोड़ नोट चलन में थे, जिनका कुल मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये था। आंकड़ों के मुताबिक, 1000 रुपये के 8.9 करोड़ नोट (1.3 फीसदी) नहीं लौटे हैं।
जानकारों का कहना है कि 99 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आने का मतलब यह है कि लोगों ने अपने कालेधन को नोटबंदी के दौरान सफेद में बदल लिया। इस तरह सरकार जिस कालेधन पर लगाम लगाना चाहती थी, उसे लोगों ने चालाकी दिखाते हुए किसी न किसी तरह से सफेद कर लिया।
मोदी सरकार की तरफ से जो दावा किया जा रहा था कि जिनका काला धन होगा वह बर्बाद हो जाएग, लेकिन वह मकसद कहीं से भी पूरा नहीं हो सका। बता दें कि नोटबंदी की वजह से कई बिजनेस ठप पड़ गए, कई लोगों की मौत हो गई। बहुत से लोगों के पास तो खाने तक के लिए पैसे नहीं थे। अब सवाल यह है कि क्या नोटबंदी का कोई फायदा हुआ? RBI की रिपोर्ट को सरकार और विपक्ष अपने-अपने चश्मे से देख रहे हैं।