वरुण गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, बोले- रोहित वेमुला का सुसाइड नोट पढ़कर मुझे रोना आ गया

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता व उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने इशारों-इशारों में अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है। यूपी चुनाव से इतर मंगलवार(21 फरवरी) को इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।

वरुण ने देश में दलितों की स्थिति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या से पहले लिखा उनका सुसाइड नोट पढ़ने के बाद उन्हें रोना आ गया। गांधी एक स्कूल में ‘विचार नए भारत का’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

वरुण ने कहा कि पिछले साल हैदराबाद में दलित पीएचडी छात्र रोहित वेमुला ने अपनी जान ले ली। उन्होंने कहा कि जब मैंने उनकी(रोहित) चिट्ठी पढ़ी तो मुझे रोना आ गया। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा कि मैं अपनी जान इसलिए दे रहा हूं, क्योंकि मैंने इस रूप में जन्म लेने का पाप किया है। यह लाइन पढ़कर मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे हृदय पर पत्थर डाल दिया हो।

गौरतलब है कि हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला पीएचडी का छात्र था। विश्वविद्यालय पर कथित तौर पर आरोप है कि रोहित पर प्रबंधन की ओर से कई रोक लगाए गए थे। इससे आहत होकर उसने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद काफी विवाद हुआ था और मोदी सरकार पर विपक्षी पार्टियों ने दलित विरोधी होने का आरोप लगाए थे।

वरुण ने कहा कि हमारा संविधान जाति और मजहब के आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं करता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारे देश में अनुसूचित जाति वर्ग के लगभग 37 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इस समुदाय के करीब 8 प्रतिशत बच्चे अपना पहला जन्मदिन मनाने से पहले ही गरीबी के कारण भगवान को प्यारे हो जाते हैं।

बीजेपी सांसद ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि हमें सियासी लोकतंत्र नहीं, बल्कि सामाजिक लोकतंत्र की जरूरत है। हमें आज महसूस होता है कि वह सोच के मामले में अपने समय से कितने आगे थे।

साथ ही गांधी ने अल्पसंख्यकों की दुश्वारियों को भी रेखांकित करते हुए कहा कि देश की आबादी में 17.18 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, लेकिन इनमें से केवल चार फीसद लोग उच्च शिक्षा हासिल कर पाते हैं। हमें इन समस्याओं को हल करना है।

माल्या को लेकर भी बोला हमला

वरुण ने देश में आर्थिक असमानता और कर्ज वसूली में भेदभाव को लेकर कहा कि देश के ज्यादातर किसान चंद हजार रुपये का कर्ज न चुका पाने की वजह से आत्महत्या कर लेते हैं, लेकिन विजय माल्या पर सैंकड़ों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया होने के बावजूद वह एक नोटिस मिलने पर देश छोड़ कर भाग गया।

उन्होंने देश के बडे औद्योगिक घरानों पर बकाया कर्ज माफ करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अमीरों को रियायत दी जा रही है, जबकि गरीबों की थोडी सी संपत्ति को भी निचोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

 

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