देश की राजधानी दिल्ली के रोहिणी जिला अदालत के अंदर कम तीव्रता के विस्फोटक ‘लगाने’ के आरोप में गिरफ्तार किए गए डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने पुलिस हिरासत में शौचालय में हैंडवाश निगलकर कथित रूप से खुदकुशी की कोशिश की।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार आरोपी भरत भूषण कटारिया (47) का एम्स में इलाज चल रहा है और उनकी हालत पूरी तरह स्थिर है। वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं। कटारिया को अपने पड़ोसी की जान लेने की मंशा से नौ दिसंबर को रोहिणी अदालत के अंदर एक टिफिन में देशी बम कथित रूप से लगाने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। उनके पड़ोसी ने उनके विरूद्ध कई मामले दर्ज करा रखे थे और उस दिन वह अदालत परिसर में मौजूद था।
आरोपी से शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने पूछताछ की थी और उसी दिन बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस के अनुसार तब से वह पुलिस हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार शनिवार रात को शौचालय में कटारिया ने कथित रूप से तरल हैंडवाश निगल लिया और बाद में बेहोश पाए गए। उन्हें उल्टियां आने लगीं और बाद में होश आने पर उन्होंने पेटदर्द की शिकायत की जिसके बाद उन्हें बाबा साहब अंबेडकर अस्पताल ले जाया गया और फिर वहां से उन्हें एम्स भेज दिया गया।
अधिकारी ने कहा, ‘‘जब पुलिसकर्मी अस्पताल में उनसे मिलने गए तो उन्होंने उनसे कहा कि उन्होंने कुछ नहीं निगला है। लेकिन जब हमने डॉक्टरों से बात की तब उन्होंने बताया कि उन्होंने हैंडवाश निगल लिया था।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘उनका एम्स में इलाज चल रहा है और उनकी स्थिति पूरी तरह स्थिर है। एक वरिष्ठ डॉक्टर कल उनकी जांच करेंगे और आशा है कि उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी। उनसे शीघ्र ही पूछताछ की जाएगी।’’
अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने पहले से ही यह तैयारी कर रखी थी कि यदि पकड़े गए तो पूछताछ से कैसे बचना है। उन्होंने कहा, ‘‘वह गुमराह कर रहे है और सवालों से बचने के लिए जांच दल को कहानियां सुना रहे हैं। वह सहयोग नहीं कर रहे हैं और उन्होंने पूछताछ से बचने के लिए, जो भी व्यवस्था के बारे में पढ़ रखा है, उसे अपनाया है।’’
गौरतलब है कि, नौ दिसंबर को अदालत कक्ष संख्या 102 के भीतर हुए विस्फोट में एक व्यक्ति घायल हो गया था। इस संबंध में दिल्ली पुलिस कमिश्नर के राकेश अस्थाना ने बताया कि स्पेशल सेल को केस ट्रांसफर किया गया था। कोर्ट की सुरक्षा का मामला था, इसलिए इसे गंभीरता से लिया गया। हजारों गाड़िया जो कोर्ट में आई थीं, उनकी जांच की गई। कई सीसीटीवी फुटेज देखी गई। (इंपुट: भाषा के साथ)
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