इस देश में सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति तो जमकर हुई है और साथ ही भाजपा ये दावे भी करती रही हैं की वो हर मामले में भारतीय सैनिकों के साथ है और सैनिको का नाम लेकर कई बार राजनीतिक लाभ निकालने की कोशिशे भी खूब हुई है।
लेकिन क्या कोई इस भारतीय सैनिक की गुहार सुन पा रहा है जो 5 साल से सरकार से लगातार इंसाफ की गुहार लगा रहा है और इंसाफ के तौर पर मिल रहे हैं तो सिर्फ आश्वासन और झूठी तस्लियां।
सरकार सर्जिकल स्ट्राइक के मामले में तो भारतीय जवानों के साथ है लेकिन जिन परेशानियों से वो जूझ रहे हैं उन परेशानियों में वो उनके साथ क्यूं नहीं है?
हम आपको जो कहानी बता रहे है ये भाजपा शासित प्रदेश महाराष्ट्र के नांदेड ज़िले की है। इंडियन आर्मी में हवलदार की माँ सरस्वती अंबाजी बनसोड़े की 6 मार्च 2012 को बेरहमी से भू- माफियाओं द्वारा हत्या की गई थी।
अपनी दर्द कहानी सुनाते हुए फौजी के भाई रोहिदास बनसोड़े ने जनता का रिपोर्टर को बताया कि भू-माफिया की नजर उसकी जमीन पर थी जब जमीन बेचने से उसकी मां ने मना कर दिया तो उसकी मां को पत्थर पर पटक-पटक कर मारा और उससे भी उन खूनी दरिंदों का दिल नहीं भरा तो उन्होंने लोहे को गरम करके पैर-हाथ व सीने पर जगह-जगह दाग कर बड़े क्रूरता व बेहरमी से मार दिया।
हत्या के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस के अधिकारियों ने सैनिक के परिजनों को आश्वासन दिया कि अपराधी पुलिस की जल्द ही गिरफ्त में होंगे। लेकिन इसकी जानकारी जब इंडियन आर्मी के सैनिक ने आला अधिकारियो को दी तो किसी ने भी उस सैनिक की मदद नहीं की।
अब उनका परिवार इस बिकी हुई व्यवस्था से परेशान होकर सोशल मीडिया पर मदद मांग रहे हैं।
रोहिदास ने आगे बताया कि अपनी गुहार उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह के सामने भी राखी थी लेकिन अब तक इन्साफ के नाम पर उनसे सिर्फ खाली वादे किये गए।
बनसोड़े ने ट्वीटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग किया और तमाम राजनेताओं से मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बनसोड़े ने सरकार से मां की मौत की CBI जांच की मांग की है। अच्छे दिन का वादा करने वाली केंद्र सरकार जब सैनिकों के परिवार की सुरक्षा पर गूंगी बनी हुई है तो आम जनता को क्या कुछ झेलना पड़ सकता है ये किसी से छुपा नहीं है।
और अब हालात ये है कि सैनिक का परिवार भू- माफिया के डर से अपना गांव छोड़कर कंधार शहर में रहने को मजबूर है। न्याय पाने के लिए रोहिदास ने राजनेताओं से भी मदद माँगी है।
रोहिदास ने बताया कि कई बार न्यूज़ चैनल वालो ने खबर बनाई लेकिन किसी ने उसके दर्द को अपने चैनल के माध्यम से नहीं उठाया।
हम ये सिर्फ आशा ही कर सकते हैं कि एक फौजी के परिवार को न्याय हासिल करने की जंग में आखिरकार कामयाबी मिलेगी और हमारी न्याय प्रणाली उनकी माँ के हत्यारों को सज़ा देगी।