पिछले साल जुलाई में दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में हिंसक भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस द्वारा चलाई गई पैलेट गन से 16 साल के सुहैब नजीर ने अपनी आखों की रोशनी गवां दी थी।
लेकिन इस सुहैब ने अपनी इस कमी को कमज़ोरी नहीं बनने दिया और मुश्किले सामने होने के बावजूद भी 10वीं की परीक्षा 72 प्रतिशत के अंको के साथ पास की।
सुहैब ने कहा, “मैंने अपनी आँखों की रोशनी खो दी है लेकिन मैंने अपने ज्ञान को दबने नहीं दिया। मैंने हर कीमत पर शिक्षा की लौ को जलाए रखा”
सुहैब की बाईं आंख की तीन बार सर्जरी हो गई है लेकिन फिर भी उसकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से नहीं आई है अपनी सर्जरी स्थगित कर सुहैब ने अपनी परिक्षाएं दीं।
सुहैब के लिए शिक्षा जीवन में बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकमात्र साधन है और यही वजह है आखों की रोशनी खोने के बावजूद परीक्षा देने का फैसला अपने दम पर किया बिना किसी सहायक लेखन के।
सुहैब पूरी तरह अपने माता पिता को सहयोग देने का श्रेय देते हैं, मेरे माता पिता ने मुझसे पेपर लिखने को कहा बिना रिजल्ट की परवाह किए यह मेरे लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाली बात थी।