मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार (10 जुलाई) को छह विश्वविद्यालयों को उत्कृष्ठ संस्थान का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की, जिनमें तीन सरकारी और तीन प्राइवेट विश्वविद्यालय शामिल हैं। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई और आईआईएससी बेंगलुरु शामिल हैं। जबकि मंत्रालय ने निजी क्षेत्र से मनीपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी और जियो इंस्टीट्यूट को भी उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा प्रदान किया।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस अवसर पर कहा कि देश के लिए उत्कृष्ठ संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस) काफी महत्वपूर्ण है। हमारे देश में 800 विश्वविद्यालय हैं, लेकिन एक भी विश्वविद्यालय शीर्ष 100 या 200 की विश्व रैंकिंग में शामिल नहीं है। आज के निर्णय से इसे हासिल करने में मदद मिलेगी। मंत्रालय ने कहा कि इससे इन संस्थानों के स्तर एवं गुणवत्ता को तेजी से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और पाठ्यक्रमों को भी जोड़ा जा सकेगा।
जियो इंस्टीट्यूट को लेकर उठे सवाल
मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय की ओर से जारी छह उत्कृष्ट संस्थानों सूची में रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट को शामिल करने के फैसले पर सोशल मीडिया पर आम लोगों ने सवाल उठाए। दरअसल इस जियो इंस्टीट्यूट का नाम भी पहले नहीं सुना गया और इंटरनेट पर भी इसका अस्तित्व नहीं दिख रहा है। सरकार की ओर एक ‘बिना अस्तित्व’ वाले कॉलेज या यूनिवर्सिटी को उत्कृष्ट संस्थान में शामिल करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार जियो इंस्टीट्यूट रिलायंस का एक संस्थान है, लेकिन अभी तक इस संस्थान ने काम करना शुरू नहीं किया है।
हालांकि गूगल पर ढूंढने पर भी इस इंस्टीट्यूट के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल पा रही है। सिर्फ हमें ही नहीं मंत्रालय को भी इसकी कोई तस्वीर न मिल सकी तो इस ऐलान वाले तस्वीर में रिलायंस फाउंडेशन के पोस्टर से काम चलाना पड़ा। इतना ही ट्विटर पर भी इस संस्थान का कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता। खुद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भी इन संस्थानों का नाम घोषित करते हुए जियो इंस्टीट्यूट का कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला और उन्हें भी ऐसे ही इसका नाम लिखना पड़ा।
Congratulations to @ManipalUni, @bitspilaniindia & Jio Inst for getting status of #InstituteofEminence. #TransformingEducation #48MonthsOfTransformingIndia@PIB_India @MIB_India pic.twitter.com/XpRsm8nxIQ
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) July 9, 2018
दरअसल बताया जा रहा है कि आने वाले कुछ साल में यह संस्थान अस्तित्व में आ सकता है। और जब यह अस्तित्व में आएगा तो इसके पास अधिक स्वायत्तता होगी, यानी इसके कामकाज और संचालन में सरकार का दखल न के बराबर होगा। इतना ही नहीं इसे ग्रीन फील्ड कैटेगरी के अधीन चुना गया है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा मिलने के बाद प्राइवेट संस्थान अधिक स्वायत्तता के पात्र तो होंगे लेकिन उन्हें कोई फंड नहीं दिया जाएगा।
मंत्रालय ने दी सफाई
इस इंस्टीट्यूट को चुने जाने पर जब सोशल मीडिया पर चारों तरफ से सवालों की बौछार शुरु हुई तो सरकार को ध्यान आया कि मामला कुछ गड़बड़ है। जिसके बाद देर रात मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से इस पर सफाई पेश की गई। दो पन्नों की एफ ए क्यू (फ्रीक्वेंटली आस्क्ड क्वेस्चंस यानी अकसर पूछे जाने वाले सवाल) स्टाइल में स्पष्टीकरण जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि आखिर जियो इंस्टीट्यूट को ही क्यों चुना गया।
मंत्रालय ने सफाई में कहा है कि यूजीसी रेगुलेशन 2017, के क्लॉज 6.1 में लिखा है कि इस प्रोजेक्ट में बिल्कुल नए या हालिया स्थापित संस्थानों को भी शामिल किया जा सकता है। इसका उद्देश्य निजी संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के एजुकेशन इंफास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए बढ़ावा देना है, ताकि देश को इसका लाभ मिल सके। मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा कि इस श्रेणी में कुल 11 आवेदन आए थे।
ग्रीनफील्ड इंस्टीट्यूशन स्थापित करने के लिए आए 11 आवेदनों का चार मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया गया। इस स्पष्टीकरण में बताया गया कि जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीन फील्ड कैटेगरी में चुना गया है जो कि नए संस्थानों के लिए होती है और उनका कोई इतिहास नहीं होता है। कमेटी ने इस इंस्टीट्यूट का प्रस्ताव देखा और सभी मानक पूरे करने की योजना के आधार पर इसे चुना। बताया गया कि इस इंस्टीट्यूटके पास जगह है, योजना है, पैसे लगाने का भरोसा है आदि आदि।
In response to some misinformation campaign in social media regarding "Institutes of Eminence", please find herewith clarifications on commonly raised questions #InstituteofEminence pic.twitter.com/K6IB5ILpfb
— Ministry of HRD (@HRDMinistry) July 9, 2018